होम मिनिस्टर अमित शाह ने नक्सलवाद के खात्मे के लिए 31 मार्च, 2026 की तारीख ही तय कर रखी है।
उससे पहले नक्सलियों को खत्म करने के लिए अभियान तेज है और इसी सप्ताह सीपीआई माओवादी के महासचिव बसवराजू को एनकाउंटर में मार गिराया गया।
बसवराजू पर डेढ़ करोड़ रुपये का इनाम घोषित था और वह फिलहाल नक्सलियों का शीर्ष कमांडर था।
उसके मारे जाने के बाद से ही सीपीआई माओवादी को उसके विकल्प की तलाश है, लेकिन अब जिस एक बड़े नाम पर चर्चा है, उसके भी सरेंडर करने की उम्मीद है।
यह नाम है- एम. वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू। उसे उन नक्सलियों में से एक माना जा रहा था, जो अब कमान संभाल सकते हैं।
कहा जा रहा है कि 69 साल का सोनू अब पहले की तरह ऐक्टिव नहीं है। इसके अलावा वह अब पत्नी के रास्ते पर चलते हुए सरेंडर करके पुनर्वास कैंप में जाना चाहता है।
तेलुगू ब्राह्मण परिवार से आना वाला सोनू बीकॉम की डिग्री ले चुका है। वह महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से लेकर आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक में सक्रिय रहा है।
उसके पास नक्सलियों की एलीट फोर्स कही जाने वाली सी-60 की कमान रही है, लेकिन अब वह आगे फाइट नहीं करना चाहता।
यदि उसकी ओर से सरेंडर किया गया तो फिर देश में माओवाद को खत्म करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा। एक तरफ बसवराजू का मारा जाना और दूसरी तरफ सोनू का सरेंडर सुरक्षा बलों के लिए बड़ी जीत जैसा होगा।
सोनू का भाई एमके राव उर्फ किशनजी भी इनामी नक्सली कमांडर था। वह सुरक्षा बलों से मुठभेड़ के दौरान 2011 में कोलकाता में ढेर हो गया था।
उसकी पत्नी तरक्का ने बीते साल महाराष्ट्र पुलिस के आगे सरेंडर कर दिया था और फिलहाल वह गढ़चिरौली स्थित पुनर्वास कैंप में रह रही है।
दरअसल सीएम देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को कहा कि कई टॉप नक्सली सरेंडर कर सकते हैं। उनके इस बयान के बाद से ही सोनू के आत्मसमर्पण के कयास लग रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सोनू को अबूझमाड़ के जंगलों में लगभग घेर लिया गया है। अब उसका बचना मुश्किल है और माना जा रहा है कि इसलिए भी उसने सरेंडर का प्रस्ताव रखा है।
एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ तक सुरक्षा बल खासे ऐक्टिव हैं। फिलहाल वे माओवादियों के गढ़ तक में जाकर ऑपरेशन चला रहे हैं।