प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन विधि-विधान से शिवजी की पूजा-अर्चना की जाती है। जब यह व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
सोम प्रदोष व्रत का दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं।
हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। आषाढ़ माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 23 जून, सोमवार को रखा जाएगा। यह प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मुहूर्त-
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – जून 23, 2025 को 01:21 ए एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त – जून 23, 2025 को 10:09 पी एम बजे
प्रदोष पूजा मुहूर्त – 07:22 पी एम से 09:23 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 00 मिनट्स
पूजा विधि :
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। शिवजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। अब पूरा दिन फलाहार व्रत रखें।
घर के मंदिर में दीपक प्रज्ज्वलित करें और शिव-गौरी की आरती उतारें। शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। संभव हो, तो शाम के समय स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारण करें। प्रदोष काल पूजा की तैयारी करें।
एक थाली में सभी पूजा सामग्री एकत्रित करें। शिवालय या घर पर ही विराजमान शिवलिंग की पूजा आरंभ करें। शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें।
शिवलिंग पर आक के फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, फल, शहद नैवेद्य अर्पित करें। अब शिवलिंग को धूप-दीप दिखाएं। शिवजी के बीज मंत्रों का जाप करें।
सोम प्रदोष व्रत का पाठ करें। शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में शिव-गौरी के साथ सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें। पूजा में जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और शिव-पार्वती का आशीर्वाद लीजिए।
करें ये उपाय- प्रदोष व्रत का दिन शिवजी की पूजा-आराधना के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस दिन मनोकामनाओं की पूर्ति और रोग-दोष निवारण के लिए शिवजी का रुद्राभिषेक करें। मान्यता है ऐसा करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।