प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार): केवल व्हाट्सएप मेसेज 94064 20131
शीतला अष्टमी से ठीक एक दिन पहले शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है।
शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी दोनों दिन माता शीतला की पूजा की जाती है।
शीतला सप्तमी व अष्टमी दोनों को ही बसौड़ा या बसोड़ा कहा जाता है। दोनों ही दिन मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।
यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी व अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त- शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त सुबह 06 बजकर 24 मिनट से शाम 06 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि 12 घंटे 09 मिनट की है।
शीतला माता की पूजा कैसे करें– सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद माता शीतला की फोटो या प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें। इसके बाद माता शीतला को फूल, फल व भोग लगाएं। धूप-दीप जलाए और मां की आरती उतारें। माता शीतला को प्रणाम करें।
शीतला माता को क्या भोग लगाते हैं: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, शीतला माता को ठंडे खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है।
पंडित जयप्रकाश पांडे ने बताया कि 20 मार्च 2025 को माता शीतला का प्रसाद बनाकर 21 मार्च 2025 को भोग लगाया जाएगा।
इस दिन भक्त भी ठंडा भोजन ही करके हैं। पूजन के दिन किसी भी तरह के गर्म पेय या खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं किया जाता है।
शीतला सप्तमी पर पूजन के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:49 ए एम से 05:36 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:13 ए एम से 06:24 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:04 पी एम से 12:53 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:18 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:32 पी एम से 06:55 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 06:33 पी एम से 07:44 पी एम
अमृत काल- 04:08 पी एम से 05:53 पी एम
शीतता सप्तमी पर भद्रा कब समाप्त होगी: शीतला सप्तमी पर भद्रा का साया रहने वाला है। 21 मार्च 2025 को भद्रा सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर प्रारंभ होगी और दोपहर 03 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी।
माता शीतला मंत्र- माता शीतला की पूजा व भोग लगाते समय ”शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता। शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः। मंत्र का जाप करना चाहिए।