दवाओं और इंसुलिन से मिली राहत: अमित शाह ने साझा किया कैसे बदली उनकी ज़िंदगी…

राजनीति में सक्रियता और बिना छुट्टी लिए काम करने की बात होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दाद दी जाती है।

हालांकि गृह मंत्री अमित शाह भी उनसे किसी मामले में कम नहीं हैं। पार्टी की राजनीति हो या फिर देश के एक अहम पद की जिम्मेदारी, गृह मंत्री अमित शाह अपनी जिम्मेदारियों पर खरे उतरने की पूरी कोशिश करते हैं।

एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपनी फिटनेस का राज भी बताया। उन्होंने कहा कि 2020 से पहले वह भी डायबिटीज से पीड़ित थे।

उन्होंने अपने जीवन को अनुशासित करके ना केवल डायबिटीज पर नियंत्रण कर लिया बल्कि लगभग 20 किलो वजन भी घटा लिया।

गृह मंत्री ने वर्ल्ड लिवर डे के मौके पर लिवर एवं पित्त विज्ञान संस्थान (ILBS) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, मुझे निमंत्रण क्या सोचकर दिया गया यह मुझे पता नहीं लेकिन सवाल उठता है कि मैंने निमंत्रण स्वीकार क्यों किया। मैं अपने जीवन का अनुभव साझा करना चाहता हूं।

मई 2020 से आजतक मैंने अपने जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन किया है। शरीर को जितनी चाहिए उतनी नींद, जितना चाहिए उतना पानी और जरूरत के मुताबिक आहार और नियमित व्यायाम से मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल किया। मैं साढ़े चार साल के समय में मैं करीब-करीब सभी इंसुलिन और एलोपैथिक दवाओं से मुक्त होकर आपके सामने खड़ा हूं।

उन्होंने कहा, विश्व यकृत दिवस के अवसर पर मैं युवाओं को जरूर कहना चाहूंगा कि अपने शरीर के लिए दो घंटा और दिमाग के लिए कम से कम 6 घंटे की नींद रिजर्व कर लीजिए।

अनेक गुना इसकी उपयोगिता बढ़ जाएगी। यह मेरा अनुभव है कि अगर चार साल पहले मुझे यहां बुलाया जाता तो मैं नहीं आता क्योंकि मैं बात करने लायक ही नहीं था।

गृह मंत्री ने सुनाया महात्मा बुद्ध का किस्सा

गृह मंत्री अमित शाह ने महात्मा बुद्ध का एक किस्सा सुनाते हुए कहा, एक मां बच्चे को लेकर महात्मा बुद्ध के सामने उपस्थित हुई। मां ने कहा कि बेटा गुड़ बहुत खाता है। आप उसको समझाइए कि ज्यादा गुड़ खाना फायदा नहीं करता। महात्मा बुद्ध ने एक सप्ताह के बाद बुलाया।

मां फिर आई तो महात्मा बुद्ध ने बच्चे को समझाया कि ज्यादा गुड़ ना खाओ, बहुत नुकसान करता है। मां से रहा नहीं गया उन्होंने पूछा कि आप एक सप्ताह पहले भी तो यह बात कह सकतेथे।

इसपर महात्मा बुद्ध ने कहा कि एक सप्ताह पहले मैं भी बहुत गुड़ खाता था तो बच्चे को कैसे समझाता। मेरी भी स्थिति कुछ ऐसी ही है।

मैंने अपने जीवन में अनुशासन लाने का फैसला किसी महात्मा के आग्रह के कारण लिया। इसी को साझा करने के लिए मैं यहां आया हूं।

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