बगावत पड़ी विधायक यतनाल को भारी, भाजपा से हुए बाहर; विजयेंद्र की ताकत हुई और मजबूत…

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कर्नाटक में अपने बागी विधायक बसंगौड़ा पाटिल यतनाल को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

यह कार्रवाई पार्टी के केंद्रीय अनुशासन समिति ने यतनाल की बार-बार अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते की।

इस फैसले को कर्नाटक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र के लिए एक मजबूत समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, जो यत्नाल के लगातार हमलों का सामना कर रहे थे।

यतनाल के निष्कासन को भाजपा के हलकों में इस बात के संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि विजयेंद्र नवंबर 2026 में अपने तीन साल के कार्यकाल के पूरा होने तक प्रदेश इकाई का नेतृत्व करते रहेंगे।

भाजपा नेतृत्व का यह कदम यतनाल को उनकी कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए दूसरा कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के लगभग छह सप्ताह बाद आया है।

राज्य अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी

यतनाल विजयपुरा से विधायक हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वे लंबे समय से पार्टी के दिग्गज नेता बी. एस. येदियुरप्पा और उनके बेटे विजयेंद्र के खिलाफ मुखर रहे हैं।

उन्होंने विजयेंद्र पर “वंशवादी राजनीति” और “भ्रष्टाचार” के आरोप लगाए थे, साथ ही उनकी राज्य अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी।

इसके अलावा, यतनाल ने पार्टी के आधिकारिक कार्यक्रमों से अलग अपनी समानांतर गतिविधियां शुरू की थीं, जैसे वक्फ बोर्ड के खिलाफ एक अलग पदयात्रा, जिसे पार्टी नेतृत्व ने स्वीकार नहीं किया।

पूर्व मंत्री रमेश जारकीहोली और पूर्व मंत्री कुमार बंगारप्पा जैसे अपने गुट के कुछ सदस्यों के साथ यतनाल ने जनवरी और फरवरी में कई बार दिल्ली का दौरा किया और पार्टी हाईकमान से विजयेंद्र को हटाने का आग्रह किया था।

भाजपा की केंद्रीय अनुशासन समिति के सदस्य सचिव ओम पाठक द्वारा जारी निष्कासन आदेश में कहा गया, “10 फरवरी 2025 को जारी कारण बताओ नोटिस के जवाब पर विचार करने के बाद समिति ने आपके बार-बार अनुशासन उल्लंघन को गंभीरता से लिया है।

पहले के नोटिसों में अच्छे व्यवहार के आश्वासन के बावजूद आपकी गतिविधियां जारी रहीं। इसलिए आपको तत्काल प्रभाव से छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया जाता है।”

“हिंदुत्व के लिए अपनी लड़ाई जारी रखूंगा”

यतनलाल ने इस कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मुझे वंशवादी राजनीति, भ्रष्टाचार, पार्टी में सुधार और उत्तरी कर्नाटक के विकास की मांग के लिए छह साल के लिए निष्कासित किया गया है।

यह फैसला मेरे संघर्ष को कमजोर नहीं करेगा। मैं भ्रष्टाचार, परिवारवाद और हिंदुत्व के लिए अपनी लड़ाई जारी रखूंगा।” उन्होंने 15वीं-16वीं शताब्दी के कवि पुरंदर दास के एक कन्नड़ काव्य का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया, “यह सच्चे लोगों का समय नहीं है।”

दूसरी ओर, इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए विजयेंद्र ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भाजपा नेतृत्व ने कभी भी अनुशासन से समझौता नहीं किया है। विजयेंद्र ने इस निष्कासन को “दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन आवश्यक” करार दिया।

उन्होंने कहा, “पार्टी में अनुशासन और विचारधारा के मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया गया। हाल की घटनाओं पर विचार-विमर्श के बाद यह अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। मैं इस पर खुशी नहीं मनाऊंगा, बल्कि सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर संगठन को मजबूत करूंगा।”

भाजपा आलाकमान को “ब्लैकमेल” करने का आरोप

नवंबर 2023 में विजयेंद्र की कर्नाटक भाजपा प्रमुख के रूप में नियुक्ति के तुरंत बाद, यतनाल ने येदियुरप्पा पर अपने बेटे, शिकारीपुरा से पहली बार विधायक बने विजयेंद्र को पार्टी का शीर्ष पद दिलाने के लिए भाजपा आलाकमान को “ब्लैकमेल” करने का आरोप लगाया था। यतनाल ने विजयेंद्र और येदियुरप्पा पर अपने लगातार हमलों के तहत उन्हें “चरित्रहीन और भ्रष्ट” कहा था।

यतनाल और विजयेंद्र के बीच झगड़े को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष और येदियुरप्पा के बीच राज्य पार्टी इकाई पर नियंत्रण को लेकर चल रही खींचतान के विस्तार के रूप में भी देखा जा रहा है। यतनाल संतोष खेमे से जुड़े रहे हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम विजयेंद्र को मजबूत करने की दिशा में एक संकेत है, जिनका कार्यकाल नवंबर 2026 तक चलना है।

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