मनरेगा में जल संरक्षण को बढ़ावा, गंभीर जल संकट वाले जिलों में खर्च होगी 65 प्रतिशत राशि…

 देश को भविष्य के जल संकट की चुनौतियों से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने अगले वर्ष देशभर में एक करोड़ नई जल संचय संरचनाओं को बनाने का एलान किया है। इनका निर्माण जनभागीदारी व मनरेगा के तहत मिलने वाली राशि से किया जाएगा।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बताया कि इसे लेकर मनरेगा के नियमों में बदलाव किया गया है।

जिसमें गंभीर जल संकट यानी डार्क जोन वाले जिलों में इसकी 65 प्रतिशत राशि अब सिर्फ जल संचय से जुड़ी संरचनाओं के निर्माण पर खर्च होगी।

जबकि, येलो जोन वाले जिलों में 40 प्रतिशत और बाकी जिलों में इसकी 30 प्रतिशत राशि सिर्फ जल संचय संरचनाओं पर खर्च होगी।

पाटिल ने शुक्रवार को जल संरक्षण, प्रबंधन आदि विषयों को लेकर आयोजित सुजलाम भारत नाम से दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कहा कि मनरेगा नियमों में किए गए बदलावों को लेकर जल्द ही अधिसूचना जारी हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि यह पहल भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए की जा रही है। आने वाले वर्षों में देश को करीब 1180 बीसीएम (बिलियन क्यूबिक मीटर) साफ पानी की आवश्यकता होगी।

जबकि, हमारे पास अभी जल संचय की क्षमता सिर्फ 750 बीसीएम की है। यह क्षमता तब है, जब देश में 650 से अधिक डैम हैं। लेकिन अब जो स्थितियां हैं, उनमें नए डैम बनाना मुश्किल है क्योंकि इसके लिए काफी जमीन चाहिए।

इसके निर्माण की लागत भी 25 हजार करोड़ से अधिक है। साथ ही 25 साल का समय चाहिए। वहीं, नदियों में भी दिन-प्रतिदिन पानी का बहाव कम हो रहा है। ऐसे में जल संचय से जुड़ी संरचनाओं से इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। पिछले साल यह मुहिम काफी सफल रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सम्मेलन में इस विषय पर भी मंथन होना चाहिए कि पानी की बचत कैसे करें। इस पर ज्यादा फोकस होकर काम करने की जरूरत है। लोगों के जल के सही इस्तेमाल के बारे में जागरूक करना होगा।

खासकर सिंचाई के तरीकों को बदलने के लिए किसानों को तेजी से प्रोत्साहित करना होगा। इस सम्मेलन में केंद्र और राज्यों में जल संरक्षण से जुड़े विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों व विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *