प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार): केवल व्हाट्सएप मेसेज 94064 20131
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने यह व्रत हर महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है।
इस महीने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 10 अप्रैल को है। वैसे तो त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल से शुरू हो रही है, लेकिन उदया तिथि के अनुसार व्रत 10 अप्रैल को रखा जाएगा।
इस दिन भगवान विष्णु एवं माता पार्वती के पूजन का विधान है। प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल की त्रयोदशी को गुरु प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
कब से शुरू हो रही है तिथि
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 09 अप्रैल को रात 10 बजकर 55 मिनट से शुरु होगी और अगले दिन यानी 11 अप्रैल को रात 01 बजे तिथि का समापन होगा।
ऐसे में 10 अप्रैल को प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 44 मिनट से 08 बजकर 59 मिनट तक है।
क्या है प्रदोष काल में पूजा का मुहूर्त
आपको बता दें कि चैत्र मास में पड़ने वाले दोनों प्रदोष गुरु प्रदोष हैं। इससे पहले 27 मार्च को भी गुरु प्रदोष व्रत पड़ा था। इस बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष और हिन्दू नव वर्ष पर भी गुरु प्रदोष पड़ रहा है।
आपको बता दें कि गुरु प्रदोष की पूजा शाम को प्रदोष काल में होती है। इस बार गुरु प्रदोष की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 59 मिनट तक है।
इस समय में ही प्रदोष व्रत की पूजा करना शुभफलदायी रहेगा। स बार पूजा के लिए दो घंटे का समय मिल रहा है।