हिंदू नव वर्ष पर आज RSS मुख्यालय जाएंगे PM मोदी, मोहन भागवत से करेंगे निजी चर्चा…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने नागपुर दौरे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय भी जाएंगे।

बतौर प्रधानमंत्री संघ मुख्यालय जाने वाले वह पहले नेता होंगे। इस दौरे के कुछ कार्यक्रमों में मोदी के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी रहेंगे।

मोदी का हिंदू नव वर्ष पर गुड़ी पड़वा के दिन संघ मुख्यालय जाना राजनीतिक रूप से भी काफी अहम है।

प्रधानमंत्री वहां पर स्मृति मंदिर में संघ के प्रथम सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरुजी) को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इस दौरे में दीक्षा भूमि भी जाएंगे, जहां वह डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजिल देंगे।

पीएम मोदी का संघ मुख्यालय जाना देश और भाजपा की भावी राजनीति को लेकर काफी महत्वर्पू्ण माना जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी और भागवत कुछ समय के लिए अलग से भी बात कर सकते हैं। चूंकि भाजपा के नए अध्यक्ष का भी जल्द फैसला होना है इसलिए भी इसे अहम माना जा रहा है।

बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा व संघ में कुछ दूरी दिखी थी, लेकिन बाद के विधानसभा चुनाव में उसे संघ से काफी सहयोग मिला था।

सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री का हिंदू नव वर्ष पर गुड़ी पड़वा के दिन संघ मुख्यालय में होने के ही अपने आप में काफी संकेत दे देगा।

संघ और भाजपा के सामाजिक समरसता के कार्यक्रमों के बीच इसके जरिये वह अपने मूल काडर और समर्थक वर्ग को संदेश देंगे।

सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश के घटनाक्रमों को देखते हुए भी इसका काफी महत्व है। साथ ही यह भाजपा और संघ के बीच संबंधों को और मजबूती देगा।

बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की संघ को लेकर की गई एक टिप्पणी को लेकर संघ और भाजपा के बीच संबंधों को लेकर सवाल खड़े हुए थे।

हालांकि दोनों ने इसका खंडन किया था। अब जबकि भाजपा नड्डा की जगह नए अध्यक्ष को चुनने की तैयारी में है उसके पहले मोदी की संघ मुख्यालय जाना केवल सामान्य घटना नहीं मानी जा सकती है। इसका असर भाजपा के भावी नए संगठन पर दिखाई दे सकता है।

भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है और विस्तारित भी किया जाता रहा है। 2025 में जो अध्यक्ष बनेगा वह 2028 तक तो रहेगा ही।

साथ ही उसे 2029 के अगले लोकसभा चुनाव तक भी विस्तार दिया जा सकता है। ऐसे में उसके चयन में सामाजिक, राजनीतिक और क्षेत्रीय संतुलन को साधना काफी अहम है।

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