निर्जला एकादशी का व्रत देता है 24 एकादशियों के बराबर पुण्य, पापों से मिलती है मुक्ति…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

 ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। निर्जला एकादशी का महत्व सभी एकादशी में सबसे अधिक होता है।

इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है।

साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। निर्जला एकादशी के व्रत में पानी का सेवन भी नहीं किया जाता है। इस दिन जल का त्याग करना होता है। इस पावन दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।

निर्जला एकादशी डेट- निर्जला एकादशी व्रत को लेकर इस बार संशय बना हुआ है। शास्त्रों के अनुसार स्मार्त यानि गृहस्थ लोग 6 जून शुक्रवार को व्रत रखेंगे और अगले दिन यानी 7 जून को पारण करेंगे।

जबकि वैष्णव यानि साधु सन्यासी समाज के लोग 7 जून को व्रत करेंगे और 8 जून को व्रत का पारण करेंगे।

मिलता है सालभर( 24 एकादशी) व्रत करने का फल- निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सालभर की एकादशी व्रत का फल मिल जाता है।

निर्जला एकादशी पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें।

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।

इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट

श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति

पुष्प

नारियल

सुपारी

फल

लौंग

धूप

दीप

घी

पंचामृत

अक्षत

तुलसी दल

चंदन

मिष्ठान

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