“मुसलमानों के लिए खुला RSS का दरवाज़ा, मोहन भागवत ने रखी औरंगज़ेब और भारत माता से जुड़ी शर्त”…

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों वाराणसी के दौरे पर हैं। रविवार को वह सुबह मलदहिया के लाजपत नगर पार्क की शाखा पर पहुंचे।

यहां उन्होंने शाखा के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया तो फिर वहीं पर स्वयंसेवकों के कुछ सवालों के भी जवाब दिए। इस दौरान एक सवाल आया कि क्या आरएसएस की शाखा में कोई भी आ सकता है।

इस पर संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस की शाखा में मत, संप्रदाय, जाति, पंथ और भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।

उन्होंने एक बात और स्पष्ट करते हुए कहा कि जो भी भारत माता की जय बोल सकता है, उसके शाखा आने पर कोई मनाही नहीं है।

उन्होंने कहा कि संघ की शाखा में सभी का स्वागत है, बस उन लोगों को छोड़कर जो खुद को औरंगजेब का वंशज मानते हैं।

दरअसल संघ के स्वयंसेवक का सवाल था कि क्या हम अपने मुस्लिम पड़ोसियों को भी शाखा में ला सकते हैं।

इसी के जवाब में संघ प्रमुख ने कहा, ‘संघ की शाखा के दरवाजे उन सभी के लिए खुले हैं, जो भारत माता की जय बोलते हैं और भगवा ध्वज का सम्मान करते हैं।

आरएसएस की विचारधारा में पूजा पद्धति के आधार पर भेदभाव का कोई विचार नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘उन लोगों को छोड़कर सभी यहां आ सकते हैं, जो खुद को औरंगजेब का वंशज मानते हैं। संघ की शाखा में पूजा पद्धति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। हमारी जाति, पंथ, संप्रदाय अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन संस्कृति तो एक ही है।’

उन्होंने कहा कि किसी भी पंथ, समुदाय के लोग संघ की शाखा में आ सकते हैं। मोहन भागवत ने इस दौरान अखंड भारत की अवधारणा पर भी बात की।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि अखंड भारत का विचार व्यवहारिक नहीं है, लेकिन सच यह है कि ऐसा संभव है।

उन्होंने कहा कि आज सिंध प्रांत की हालत देखिए। भारत से जिन हिस्सों को अलग किया गया था, उनके साथ आज भेदभाव की स्थिति है।

आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि संघ में कभी भी किसी से भेदभाव नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि हमारी शाखाओं में हमेशा से सबकी एंट्री रही है।

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