सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):
धमतरी- ज़िले की महानदी का नज़ारा इन दिनों गुड़ की डली जैसा नज़र आता है जिसमें चींटियों का झुंड लिपटा होता है।
यहां वैध खदान संचालकों (माफियाओं) की मनमानी तो जारी ही है, साथ ही अवैध उत्खनन भी ज़ोरों से चल रहा है, मानों “लूट लो जितनी ताकत है”! बता दें कि शहर से लगे ग्राम कोलियारी समेत पूरी महानदी का नज़ारा कुछ ऐसा ही है, जहां चींटियों के झुंड की मानिंद ट्रैक्टर महानदी से अवैध रेत की लूट में झूमे हुए हैं।
इसके अलावा कोलियारी से लेकर जिले के अंतिम छोर में स्थित रेत घाट चन्द्रसूर तक यही हाल है जहां लूट मची हुई है, जिससे जिम्मेदारों ने नजरें फेर रखीं हैं।
इस अवैध कारोबार से माफिया तो लाल हो ही रहे हैं, लेकिन इसका बहुत ही बुरा असर पर्यावरण और भूजल स्तर पर पड़ रहा है।
हालात ये हो गए हैं कि नदी तटीय गांव भी अब पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। एक ओर जहां शासन प्रशासन जल संरक्षण को लेकर अनेक आयोजन और उपायों में जुटा हुआ है, वहीं दूसरी ओर उसी प्रशासन की नाक के नीचे महानदी को इस हद तक छलनी किया जा चुका है कि नदी की आखरी सतह भी चटियल मैदानों की तरह नज़र आने लगी हैं।
बहरहाल माफिया इन दिनों ग्राम कोलियारी से लेकर जिले के अंतिम छोर में स्थित चन्द्रसूर रेत घाट तक ट्रैक्टर के माध्यम से बिंदास महानदी का सीना चीरने में जुटे हैं, जहां प्रति ट्रैक्टर 100 रुपए से लेकर 500 रुपए तक की अवैध वसूली जारी है, ये दर माफियाओं ने प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखकर तय की है! पहले अवैध रेत खनन के खिलाफ ग्राम पंचायतें, ग्राम विकास समिति व ग्रामीण आवाज उठाते रहते थे, जिससे कुछ हद तक ये अवैध कारोबार में थोड़ा अंकुश लगा हुआ था, लेकिन अब माफिया भी अपने पैंतरे बदल चुके है, अब वे सबसे पहले ग्रामीण, समिति व पंचायत से सौदा करके निश्चिंत हो जाते हैं, वैसे इस प्रक्रिया में संबंधित विभाग अछूता नहीं है।
महानदी के दोहन में इन सबकी भूमिका बराबर की है! यही वजह है कि माफियाराज बेलगाम हो चुका है, बकायदा खदानों के मुहाने गुर्गे तैनात किए जाते हैं, ताकि अवैध खनन में खलल न हो! ये हाल न ही नेताओं से छुपा है और न नौकरशाहों से, लेकिन मजाल है कि कोई भी अपनी जिम्मेदारी बख़ूबी निभा सके! और अवैध खनन पर रोक लगा सके।
हां जिम्मेदार कुछेक कार्यवाही कर अपनी मौजूदगी का सबूत पेश करते रहते हैं, जो आटे में नमक के बराबर साबित हो रहा है।