गंगा सप्तमी पर बना त्रिपुष्कर, शिववास और रवि योग का शुभ संयोग, जानें स्नान और दान का उत्तम मुहूर्त…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

हिंदू धर्म के लिए मां गंगा का महत्व विशेष है। वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर देवी गंगा का प्राकट्य हुआ था।

इस वर्ष यह पर्व 3 मई 2025 को मनाया जाएगा। उस दिन तीन विशेष योग बनने से इस पर्व का महत्व और बढ़ गया है।

ज्योतिषाचार्य पं. विकास शास्त्री के अनुसार गंगा सप्तमी पर त्रिपुष्कर, रवि और शिववास योग बन रहा है। इन योग में गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है।

इस तिथि पर पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। दोनों नक्षत्रों में गंगा पूजन एवं स्नान का विशेष फल वर्णित है।

गंगा सप्तमी स्नान-दान शुभ मुहूर्त 2025: सप्तमी तिथि 03 मई 2025 को सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर प्रारंभ होगी और 04 मई 2025 को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।

गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10: 58 बजे से दिन में 01: 38 बजे तक है। इस मुहूर्त में दान करने से देवता और पितर दोनों प्रसन्न होते हैं।

गंगा सप्तमी पर बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:13 ए एम से 04:56 ए एम

अभिजित मुहूर्त- 11:52 ए एम से 12:45 पी एम

विजय मुहूर्त-02:31 पी एम से 03:25 पी एम

अमृत काल- 10:13 ए एम से 11:47 ए एम

त्रिपुष्कर योग- 07:51 ए एम से 12:34 पी एम

रवि योग- 05:39 ए एम से 12:34 पी एम

गंगा सप्तमी का महत्व-

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन गंगा शिव की जटाओं से निकली थीं और गंगा दशहरा के दिन गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।

गंगा स्नान मंत्र-

गंगा स्नान करते समय ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरू’ या ‘ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:’ मंत्र का जाप करना शुभ माना गया है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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