गाजा पट्टी लंबे समय से इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच तनाव और संघर्ष का केंद्र रहा है।
अब ये इलाका एक नए और खतरनाक मोड़ की ओर बढ़ रहा है। हाल के घटनाक्रमों से संकेत मिल रहे हैं कि इजरायल अने पुराने रुख से हटकर अब गाजा पर पूर्ण कब्जा और सैन्य शासन स्थापित करने की ओर आगे बढ़ रहा है।
यह बदलाव न केवल क्षेत्रीय राजनीति में उथल-पुथल मचा सकता है, बल्कि गाजा के लाखों निवासियों के लिए मानवीय संकट को और गहरा सकता है।
दो दिन पहले इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सा’र ने कहा था कि इजरायल ने अभी तक इस बात पर कोई निर्णय नहीं लिया है कि वह गाजा में सैन्य शासन लागू करेगा या नहीं।
उन्होंने यरुशलम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “हमारे मंत्रिमंडल ने अभी तक इस पर निर्णय नहीं लिया है।”
एक अन्य इजरायली अधिकारी ने बताया कि सरकार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह गाजा के “नागरिकों” के साथ क्या करेगी।
सेना में बदलाव और ट्रंप के आने से बदला रुख?
इजरायल ने अब तक गाजा पट्टी पर सैन्य शासन के लिए दबाव डालने से परहेज किया है, लेकिन इजरायली सेना में नए चीफ ऑफ स्टाफ और रक्षा मंत्री के आने से हालात बदल गए हैं। इसके अलावा, अमेरिका में एक नए राष्ट्रपति के आने से भी इजरायल की सोच बदली है।
वाशिंगटन पोस्ट ने वर्तमान और पूर्व इजरायली अधिकारियों के साथ-साथ घटनाक्रमों के बारे में जानकारी रखने वाले अन्य लोगों का हवाला देते हुए लिखा था कि इजरायल अब राष्ट्रपति ट्रंप की योजना के मुताबिक, गाजा पर सैन्य शासन स्थापित करने पर विचार कर रहा है।
इस सप्ताह वाशिंगटन, डीसी की यात्रा के दौरान, इजरायल के सामरिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के साथ गाजा पर इजरायली सैन्य नियंत्रण की योजना पर चर्चा करेंगे।
पिछले सितंबर में नेतन्याहू ने इजरायली सेना (आईडीएफ) से सहायता वितरण का कार्यभार अपने हाथ में लेने की संभावना की जांच करने को कहा था, ताकि हमास को सप्लाई चुराने से रोका जा सके, लेकिन तत्कालीन रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और तत्कालीन आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ हर्जल हलेवी दोनों ने इस विचार का विरोध किया था।
इजरायल का बदलता रुख
पिछले कुछ वर्षों में इजरायल की नीति गाजा के प्रति मुख्य रूप से हमास के प्रभाव को कम करने और अपनी सीमाओं की सुरक्षा पर केंद्रित रही है।
2005 में इजरायल ने गाजा से अपनी बस्तियों और सैन्य टुकड़ियों को हटा लिया था, लेकिन इसके बाहरी इलाकों पर नियंत्रण बनाए रखा।
इस दौरान गाजा पर हवाई हमले, आर्थिक नाकेबंदी और सीमित सैन्य अभियान इजरायल की रणनीति का हिस्सा रहे। हालांकि, 7 अक्टूबर 2023 को हमास के बड़े हमले के बाद हालात बदल गए हैं।
अब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली सरकार गाजा को लेकर एक नई और सख्त नीति अपनाती दिख रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल अब गाजा को पूरी तरह अपने कब्जे में लेकर वहां सैन्य शासन स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। इस योजना के तहत गाजा को कई जोन में बांटा जा सकता है, जहां इजरायली सेना के स्थायी शिविर स्थापित किए जाएंगे और वहां की आबादी पर पूर्ण नियंत्रण रखा जाएगा।
सैन्य शासन की योजना
इजरायल की इस नई रणनीति के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। पहला, हमास के बढ़ते प्रभाव और उसकी सैन्य क्षमता को पूरी तरह खत्म करने की मंशा। दूसरा, गाजा को एक ऐसी स्थिति में लाना जहां वह इजरायल के लिए कोई खतरा न बन सके।
इसके लिए इजरायल गाजा के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने, वहां की आबादी को विस्थापित करने और क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेने की योजना पर काम कर रहा है।
कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि इजरायल गाजा के बंदरगाहों और समुद्री क्षेत्रों को भी अपने कब्जे में लेना चाहता है, जिससे वहां के लोगों की आजीविका और बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह खत्म हो जाए।
हाल ही में इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने एक बयान में कहा कि यदि हमास ने बंधकों को रिहा नहीं किया, तो इजरायल गाजा पर स्थायी कब्जा कर सकता है और उसे अपने क्षेत्र में मिला सकता है। यह बयान इजरायल के इरादों को स्पष्ट करता है कि वह अब गाजा को एक स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में नहीं, बल्कि अपने अधीन एक क्षेत्र के रूप में देखना चाहता है।
मानवीय संकट का खतरा
गाजा में पहले से ही हालात बेहद खराब हैं। पिछले 14 महीनों से जारी जंग में 45,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं।
यदि इजरायल सैन्य शासन लागू करता है, तो यह स्थिति और भयावह हो सकती है। खाद्य संकट, पानी की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव पहले ही गाजा के लोगों को तबाही के कगार पर ला चुका है।
सैन्य शासन के तहत नागरिक स्वतंत्रता पर और सख्त पाबंदियां लग सकती हैं, जिससे वहां के निवासियों के लिए जीवन और मुश्किल हो जाएगा।