ईरान के परमाणु ठिकानों पर बड़े हमले की तैयारी में जुटी इजरायली सेना, युद्धाभ्यास चरम पर…

दुनिया परमाणु युद्ध के मुहाने पर है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के हवाले से सीएनएन की एक रिपोर्ट में सनसनीखेज दावा किया गया है कि इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने की तैयारी में है।

बताया जा रहा है कि हमला पहले ही होने वाला था, लेकिन ट्रंप ने ईरान को 60 दिन की मोहलत दी थी। अभी यह साफ नहीं है कि हमले का अंतिम फैसला लिया गया है या नहीं, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ईरान पर खतरा लगातार बढ़ रहा है।

इजरायली सेना का हवाई युद्धाभ्यास

रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल की वायुसेना बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर रही है और हथियारों की तैनाती तेज कर दी गई है।

कुछ अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि यह महज दबाव की रणनीति हो सकती है ताकि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे हटे।

मगर कई वरिष्ठ सूत्रों का दावा है कि अगर अमेरिका-ईरान की बातचीत असफल रही, तो इजरायल हमले को अंजाम दे सकता है।

ट्रंप का अल्टीमेटम

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई को 60 दिनों की समयसीमा दी थी। यह समयसीमा अब समाप्त हो चुकी है और ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान झुकता नहीं है, तो सैन्य कार्रवाई तय है।

एक पश्चिमी राजनयिक के अनुसार, ट्रंप ने कहा है कि बातचीत के लिए अब सिर्फ कुछ हफ्तों का समय और है, उसके बाद अमेरिका सीधे कार्रवाई करेगा। हालांकि फिलहाल अमेरिका का आधिकारिक रुख कूटनीति को प्राथमिकता देने का है।

ईरान की हालत नाजुक, पर झुकने को तैयार नहीं

अक्टूबर में इजरायल ने ईरान की वायु रक्षा प्रणाली और मिसाइल फैक्ट्रियों पर हमला किया था, जिससे ईरान की सैन्य क्षमता को गहरा झटका लगा।

ऊपर से अमेरिकी प्रतिबंध और उसके सहयोगियों की हालत भी नाजुक है। फिर भी, ईरान पीछे हटने को तैयार नहीं है। खामेनेई ने मंगलवार को बयान दिया कि अमेरिका की शर्तें “बड़ी भूल” हैं और ईरान यूरेनियम संवर्धन का अपना अधिकार नहीं छोड़ेगा — जो कि संयुक्त राष्ट्र की परमाणु अप्रसार संधि द्वारा संरक्षित है।

वार्ता या युद्ध?

वार्ता का नेतृत्व कर रहे अमेरिकी दूत और ट्रंप के करीबी स्टीव विटकॉफ़ ने साफ कहा है, “हम किसी भी समझौते में 1% भी संवर्धन की अनुमति नहीं दे सकते।” मगर ईरान इस शर्त को अपनी संप्रभुता के खिलाफ मानता है।

जानकारों का मानना है कि इजरायल को अकेले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करना मुश्किल है। उसे अमेरिका की मदद चाहिए, खासकर मिडएयर रिफ्यूलिंग और अंडरग्राउंड बंकरों को तबाह करने वाले बमों के लिए।

अमेरिका सीधे हमले में तब तक शामिल नहीं होगा जब तक ईरान कोई बड़ा उकसावे वाला कदम नहीं उठाता।

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