पिछले महीने इजरायल-ईरान युद्ध के दौरान अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर बमबारी करके उन्हें तबाह करने की कोशिश की थी।
इस मामले में एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तीन ठिकानों में सिर्फ एक (फोर्दो) को ही नुकसान पहुंचा, जोकि अमेरिका के किसी झटके से कम नहीं है।
अमेरिकी मीडिया हाउस एनबीसी ने अमेरिकी आकलन रिपोर्ट के हवाले से गुरुवार को पोल खोलते हुए बताया है कि पिछले महीने ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों में तीन में से सिर्फ एक ही नष्ट हुआ, जिसकी वजह से वहां काम काफी पीछे चला गया।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने ईरान पर हमला करने के लिए काफी व्यापक योजना तैयार की थी।
इस योजना के तहत सिर्फ एक रात में यह हमला नहीं होना था, बल्कि कई हफ्तों तक तीनों परमाणु स्थलों को निशाना बनाया जाना था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस योजना के बारे में जानकारी दी तो उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया।
दरअसल, अगर इस पर सहमति बनती तो ईरान और इजरायल में काफी बड़ी संख्या में लोग हताहत होते और इससे दोनों देशों को नुकसान काफी ज्यादा होता।
साथ ही, अमेरिका लंबे समय के लिए ईरान में युद्ध जैसी स्थिति में फंस जाता। यह ट्रंप की विदेश नीति के खिलाफ भी है। इसी वजह से सिर्फ एक रात में ही हमले की योजना का चुनाव किया गया। अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि फोर्दो परमाणु स्थल पर नुकसान हुआ, लेकिन नतांज और इस्फहान स्थित सुविधाओं को नहीं हुआ है।
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि ऑपरेशन मिडनाइट हैमर ने ईरानी परमाणु स्थलों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। पेंटागन के प्रवक्ता सीन पार्नेल ने भी दावा किया कि ईरान के फोर्दो, इस्फ़हान और नतांज स्थित परमाणु संयंत्र पूरी तरह से नष्ट कर दिए गए। उन्होंने कहा, “फेक न्यूज मीडिया की विश्वसनीयता ईरानी परमाणु संयंत्रों की वर्तमान स्थिति जैसी ही है: नष्ट हो चुके हैं, मिट्टी में मिल गए हैं, और उन्हें ठीक होने में वर्षों लगेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप स्पष्ट थे और अमेरिकी लोग समझते हैं, ईरान के फोर्दो, इस्फ़हान और नतांज स्थित परमाणु संयंत्र पूरी तरह से नष्ट कर दिए गए थे।”
बता दें कि पिछले महीने परमाणु संयत्र को लेकर इजरायल और ईरान आमने-सामने आ गए थे। इसके बाद अमेरिका ने बॉम्बर बी2 विमानों को भेजकर 22 जून को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर शुरू किया था।
इसके तहत फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर देर रात में हमले किए गए थे। इन हवाई हमलों के बाद ट्रंप ने तीनों के तबाह होने का दावा किया था।
हालांकि, अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट में अधिकारियों ने कहा है कि फोर्दो पर हमले से ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमताएं दो साल तक पीछे हो सकती हैं।