ट्रंप के फैसलों से भारतीयों की नौकरियों पर मंडराया खतरा, अमेरिका जाना हुआ मुश्किल…

भारत में अमेरिकी दूतावास ने सोमवार को जानकारी दी कि 15 दिसंबर से अमेरिका ने मानक वीजा जांच प्रक्रिया के तहत सभी एच1बी और एच4 आवेदकों के लिए ऑनलाइन प्रेजेंस रिव्यू को बढ़ा दिया है।

यह जांच इन दोनों वीजा श्रेणियों के लिए सभी देशों और सभी आवेदकों के लिए दुनियाभर में की जा रही है।

इंटरनेट मीडिया पर दूतावास की ओर से जारी यह संक्षिप्त बयान ऐसे समय आया है जब भारत में इस महीने के आखिर में होने वाले हजारों एच-1बी वीजा आवेदकों के पहले से तय इंटरव्यू को अचानक कई महीनों के लिए टाल दिया गया है।

बता दें कि अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा की इस साल की एक रिपोर्ट के अनुसार, एच-1बी वीजा होल्डर्स में से 71 प्रतिशत भारत से हैं।

अमेरिकी दूतावास ने क्या कहा?

एच1बी वीजा का इस्तेमाल अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियां विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने के लिए करती हैं, जिसमें भारतीय पेशेवरों का एक बड़ा समूह शामिल है।

बता दें कि अमेरिका ने एच1बी वीजा प्रोग्राम के दुरुपयोग और अवैध प्रवासन पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए हैं।

अमेरिकी दूतावास ने कहा कि यह एच1बी प्रोग्राम के दुरुपयोग को रोकने का एक प्रयास है और साथ ही कंपनियों को सर्वश्रेष्ठ अस्थायी विदेशी कामगारों को काम पर रखने की अनुमति भी देता है।

आवेदकों को सलाह दी गई है कि वे जल्द से जल्द आवेदन करें क्योंकि प्रक्रिया में सामान्य से अधिक समय लग सकता है।

भारत लौटे वीजा होल्डर्स नहीं जा पा रहे अमेरिका

इस माह की शुरुआत में अपने वर्क परमिट रिन्यू कराने के लिए काफी संख्या में एच-1बी वीजा होल्डर्स भारत लौटे थे। मगर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इस कदम से उनकी अप्वाइंटमेंट अगले साल मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं।

इससे अब वे अमेरिका वापस नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास अपनी नौकरी के लिए अमेरिका वापस जाने के लिए वैध एच-1बी वीजा नहीं है। यानी वे यहां फंस गए हैं। उनके अमेरिका लौटने में काफी देरी होने की संभावना है।

उदाहरण के लिए, जिनके इंटरव्यू 15 दिसंबर को होने थे, उन्हें ईमेल मिले थे जिसमें तारीख को मार्च में किसी समय के लिए टाल दिया गया था।

यहां तक कि जिन आवेदनकर्ताओं की अप्वाइंटमेंट 19 दिसंबर को तय थी, उन्हें मई के आखिर में नई तारीखें दी गई हैं। इससे इन पेशेवरों के समक्ष नौकरी का संकट भी खड़ा हो गया है।

विशेषज्ञों को इस बात की चिंता है कि जिन कंपनियों के लिए ये प्रोफेशनल्स काम कर रहे हैं, वे उनके लौटने का कब तक इंतजार करेंगी।

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