मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण अनुरोध से निपटने में ‘विवेक और नैतिकता’ का ध्यान रखने का आग्रह किया। हसीना बांग्लादेश में मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों का सामना कर रही हैं।
बांग्लादेश ने पिछले साल दिसंबर में भारत को एक पत्र भेजकर हसीना के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था। भारत ने औपचारिक राजनयिक पत्र मिलने की पुष्टि की थी, लेकिन इस पर कोई और टिप्पणी नहीं की थी।
यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने सोशल मीडिया पर एक बयान में कहा, ‘हम भारत से विवेक और नैतिकता को ध्यान में रखते हुए कार्य करने का आग्रह करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘लंबे समय से, भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश के वैध अनुरोध को मानने से इनकार करता रहा है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘भारत अब ऐसे किसी शख्स की सुरक्षा नहीं कर सकता, जिसपर मानवता के खिलाफ अपराध के विश्वसनीय आरोप हैं। ना क्षेत्रीय मित्रता, ना कूटनीतिक हिसाब, ना राजनीतिक विरासत जानबूझकर की गई नागरिकों की हत्या को ना माफ कर सकती है और ना ही छिपा सकती है।’
यह बयान बीबीसी बांग्ला सेवा द्वारा लीक हुए फोन कॉल पर आधारित एक खबर के एक दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि हसीना ने पिछले साल भारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारी छात्रों पर ‘गोली चलाने’ का आदेश दिया था।
आलम ने कहा, ‘बीबीसी आई इन्वेस्टिगेशन यूनिट ने अब ‘सरकार द्वारा मंजूर हत्या में हसीना की प्रत्यक्ष भूमिका की पुष्टि की है,’ और जब बीबीसी जैसा वैश्विक संस्थान ‘बांग्लादेश में अपराधों को उजागर करने के लिए अपने पूर्ण जांच संसाधनों को लगाता है’, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर ध्यान देना चाहिए।
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हसीना और उनके दो शीर्ष सहयोगियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की है। पिछले हफ्ते बुधवार को, न्यायाधिकरण ने अदालत की अवमानना के एक मामले में हसीना को उनकी अनुपस्थिति में छह महीने जेल की सजा सुनाई थी।