सरेंडर नहीं किया तो मौत तय, नक्सलियों के खात्मे की आखिरी तैयारी…

नक्सलियों के खिलाफ एक के बाद एक बड़े ऑपरेशन से सुरक्षाबलों ने आर-पार की लड़ाई का मंसूबा साफ कर दिया है।

सरकार और एजेंसियों की तरफ से स्पष्ट संदेश है कि अगर नक्सली समर्पण नहीं करते हैं तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा।

केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सुरक्षा बलों की तरफ से नक्सल नेताओं को आखिरी मौका दिया जा रहा है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहाड़ हों या जंगल अब नक्सली कहीं भी सुरक्षित नहीं रह सकते। जवानों ने सुकमा के जिन इलाकों में ऑपरेशन चलाया वो पूरा इलाका पहाड़ों से घिरा हुआ है।

इस ऑपरेशन की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार साल में इस इलाके में पहली बार सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को घेर कर मारा है। जवानों की टीम को यहां बड़े नक्सली नेता जगदीश के होने की सूचना मिली थी। इसके बाद फोर्स ऑपरेशन के लिए निकली।

जवानों को इनपुट मिला था कि करीब 25 नक्सलियों की टीम इलाके में है।

इसके बाद गोगुंडा पहाड़ी को जवानों ने घेर लिया और मुठभेड़ में 17 नक्सलियों का मार गिराया। अधिकारियों ने कहा नक्सल खात्मे की समय सीमा अपने आप में कठोर संदेश है।

नक्सल चाहें तो वे मुख्यधारा में शामिल होकर सरकार की नीतियों का फायदा उठा सकते हैं। इसके बाद उन्हें कोई और मौ़का नहीं मिलने वाला।

महाराष्ट्र चुनाव के बाद ऑपरेशन

अधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र चुनाव के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सिलयों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन शुरू कर दिया था। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य के जंगलों में नक्सलियसों के खिलाफ शुरू हुए ऑपरेशन हैंडशेक में सुरक्षा बलों के साथ कमांडो शामिल थे।

लड़ाई आखिरी दौर में आई

गृहमंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि नक्सल के खिलाफ लड़ाई अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। साल 2023 में कुल 50 नक्सली मारे गए थे।

पिछले साल ऑपरेशन तेज हुआ और 290 नक्सली मरे। अब ड्रोन कैमरे से देखकर नक्सलियों का ठिकाना पता चल रहा है। अब आधुनिक हथियार कई किलोमीटर तक वार कर सकते हैं।

हर चीज होगी तबाह

ऑपरेशन के साथ नक्सलियों के ट्रेनिंग सेंटर, हथियार और गोला बारूद के गोदाम, प्रेस और बंकरों को तबाह करने की योजना पर काम चल रहा है।

सुरक्षा बल ड्रोन, बम निरोधक दस्ते और आधुनिक हथियारों के साथ नक्सलियों के गढ़ पर धावा बोल रहे हैं। सूत्रों ने कहा, गुरिल्ला और बड़े कमांडर ने अबूझमाड़ के जंगलों को सेंटर बना रखा है।

अब आखिरी कील ठोकेंगे

अधिकारियों ने कहा, इस साल नक्सल प्रभावित इलाकों में 50 से ज्यादा संयुक्त अभियान चलाए गए हैं। अब आखिरी कील ठोकने की बारी है।

90 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं। ऑपरेशन ग्रीन हंट,ऑपरेशन प्रहार,हॉट परस्यूट और ड्राइव फॉर हंट और ऑपरेशन शेक हैंड जैसे अभियान ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है।

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