देश में वक्फ के नाम पर कितनी जमीन? सिर्फ कब्रिस्तानों के नाम पर ही 1.5 लाख संपत्तियां…

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी वक्फ संशोधन विधेयक पास हो गया है।

इस विधेयक में प्रावधान है कि संपत्तियों के सर्वे का अधिकार वक्फ कमिश्नर की जगह कलेक्टर को दिया जाएगा।

इसके अलावा वक्फ को वही संपत्ति दान कर सकता है जिसने कम से कम पांच साल इस्लाम का पालन किया हो और संपत्ति का मालिकाना हक उसके पास हो। इसके अलावा वक्फ ट्राइब्यूनल का फैसला अंतिम नहीं होगा बल्कि कलेक्टर का फैसला अंतिम माना जाएगा।

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने इस बिल को लेकर काफी विरोध किया। वहीं मुस्लिम संगठन और राजनीतिक दल इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में लगे हैं।

वक्फ के पास कितनी संपत्ति है

वक्फ की संपत्ति की बात करें तो उसके पास कुल 8 लाख 72 हजार 804 अचल संपत्तियां हैं। इसमें 9.4 लाख एकड़ जमीन है। इसके अलावा 16716 चल संपत्तियां हैं।

कब्रिस्तान के नाम पर वक्फ के पास डेढ़ लाख संपत्तियां हैं और मस्जिद के नाम पर 1.19 लाख संपत्तियां दर्ज हैं। देश में रक्षा मंत्रालय और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा वक्फ के पास ही संपत्तियां हैं।

एक रिपोर्ट की मानें तो रक्षा मंत्रालय के पास 17 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। वहं रेलवे के पास करीब 12 लाख एकड़ जमीन है। ऐसे में देश में तीसरा नंबर वक्फ का ही आता है।

बता दें कि वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संगठन के तौर पर काम करता है जो कि इस्लाम के कानून के मुताबिक चलता है। माना जाताहै कि इस्लाम को मानने वाले लोग वक्फ बोर्ड को भूमि और संपत्ति दान करते हैं।

इसके बाद इस संपत्ति का उपयोग धार्मिक कामों के लिए किया जाता है। यह परंपरा मुगल काल से ही चली आ रही है। भारत के अलावा अन्य कई देशों में भी वक्फ काम करता है।

वक्फ के पास जो जमीनें हैं वे मदरसों, कब्रिस्तान और मस्जिदों के लिए दान की गई है।

वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने के लिए यह संशोधन विधेयक लाया गया है।

सरकार का कहा है कि वक्फ की संपत्तियों का दुरुपयोग होता है। इसके अलावा वक्फ मनमाने तरीके से संपत्तियों पर दावा ठोकने लगा है। इसलिए इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की जरूरत है।

संशोधन के बाद मगैर मुस्लिम और महिला सदस्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इसके अलावा वक्फ के फैसले को अदालत में चुनौती भी दी जा सकेगी।

मुसलमानों का कहना है कि वक्फ की संपत्तियों पर सरकार की नजर है और इसलिए यह नया कानून लाकर वह धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करना चाहती है।

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