“तमिलनाडु में दलितों की स्थिति पर राज्यपाल रवि का तीखा बयान, डीएमके ने जताई कड़ी आपत्ति”…

तमिलनाडु में राज्यपाल आर.एन रवि और सत्ताधारी दल डीएमके के बीच खींचतान कम होती नहीं दिख रही है।

आंबेडकर जयंती पर भी गवर्नर और सत्ताधारी दल के बीच एक बयान को लेकर तल्खी देखी गई। गवर्नर आर.एन. रवि ने राज्य में दलितों की ‘दुर्दशा’ पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनके खिलाफ भेदभाव की कुछ घटनाएं दुखद हैं।

उन्होंने राजभवन में आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में ये बातें कहीं। इस पर डीएमकी की ओर से भी तुरंत पलटवार आ गया। उच्च शिक्षा मंत्री गोवी चेझियान ने राज्यपाल की टिप्पणी को लेकर राज्यपाल रवि पर हमला बोला।

बीते कई महीनों से सरकार और गवर्नर के बीच तनातनी देखी गई है। अब यह नया विवाद खड़ा हुआ है।

रवि ने कहा, ‘तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जहां सामाजिक न्याय के बारे में अकसर बात की जाती है। जब मैं तमिलनाडु आया तो मुझे हमारे दलित भाइयों और बहनों की दुर्दशा देखकर बहुत दुख हुआ।

हमें संविधान देने के बावजूद, बाबासाहेब को उनके जीवनकाल में अपमानित किया गया। उनके मिशन को पटरी से उतार दिया गया।

उन्हें संसद में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई – कल्पना कीजिए, जिस व्यक्ति ने हमें संविधान दिया, उसे उसका उचित स्थान नहीं दिया गया।’ राज्यपाल ने कहा कि तमिलनाडु में जिस तरह की कहानियां हम सुनते हैं, वह दिल दहला देने वाली हैं।

यह एक ऐसा राज्य है जो सामाजिक न्याय का अगुवा होने का दावा करता है। (तमिलनाडु में) एक दलित को गांव की सड़क पर चप्पल पहनने और चलने के लिए पीटा गया। एक युवा दलित को मोटरसाइकिल चलाने के लिए पीटा गया।

इस पर जवाब देते हुए मंत्री चेझियान ने रवि के इस दावे को ‘सरासर झूठ’ करार देते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में ऐसी कोई घटना नहीं हुई, जिसमें दलितों की उपेक्षा हुई हो या फिर उत्पीड़न किया गया हो।

बता दें कि डीएमके के नेता एमके स्टालिन अकसर सामाजिक न्याय की बात करते हैं और तमिलनाडु की आरक्षण व्यवस्था को दूसरे राज्य भी लागू करना चाहते हैं। ऐसे में आर.एन. रवि का दलितों को लेकर दिया बयान डीएमके को चुभने वाला है।

गौरतलब है कि हाल में सरकार और राज्यपाल के बीच 10 बिलों को लेकर विवाद था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आया है। इसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्यपाल के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अनंतकाल तक विधेयकों को रोके रखें।

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