एक शादीशुदा कपल को करीब 18 वर्षों से संतान का सुख नहीं मिल रहा था।
हालांकि उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। अब वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से माता-पिता बनने जा रहे हैं। एआई ने उन शुक्राणुओं को खोज निकाला जिन्हें पारंपरिक तकनीकें पहचान नहीं पाई थीं।
इस चमत्कारी तकनीक का नाम है STAR (Sperm Tracking and Recovery) है, जिसे न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर में विकसित किया गया है।
यह तकनीक विशेष रूप से उन पुरुषों के लिए वरदान बनकर आई है जो एजोस्पर्मिया से पीड़ित हैं। यह एक ऐसी स्थिति जिसमें पुरुष के वीर्य में कोई भी शुक्राणु मौजूद नहीं होता।
इस तकनीक की प्रेरणा स्पेस रिसर्च से ली गई है। कोलंबिया सेंटर के निदेशक डॉ. ज़ेव विलियम्स ने कहा, “हम ब्रह्मांड में जीवन खोजने वाली तकनीक का इस्तेमाल अब पृथ्वी पर जीवन रचने के लिए कर रहे हैं।”
इसमें हाई-रिजॉल्यूशन इमेजिंग के जरिए एक वीर्य सैंपल की 8 मिलियन फ्रेम्स को एक घंटे से भी कम समय में स्कैन किया गया। AI ने इनमें से तीन जीवित शुक्राणु खोज निकाले, जिन्हें पारंपरिक माइक्रोस्कोप और टेस्ट्स से नहीं देखा जा सका था।
AI द्वारा चिन्हित शुक्राणुओं को फिर एक माइक्रो-रोबोट के जरिए बेहद कोमलता से निकाला गया, जिससे उनकी गुणवत्ता बनी रही। इसके बाद IVF प्रक्रिया द्वारा महिला के अंडाणुओं को इन शुक्राणुओं से मिलाया गया। आज वह महिला 5 महीने की गर्भवती है। दिसंबर में संतान को जन्म दे सकती है।
STAR तकनीक फिलहाल केवल कोलंबिया यूनिवर्सिटी में उपलब्ध है। संपूर्ण प्रक्रिया की कीमत लगभग 3,000 डॉलर यानी कि 2.5 लाख रुपये है। यह पारंपरिक IVF प्रक्रिया की तुलना में काफी सस्ती है।
आपको बता दें कि अमेरिका में 10 से 15% पुरुष बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। वैश्विक स्तर पर भी शुक्राणु संख्या में गिरावट देखी जा रही है, जिसकी संभावित वजहें मोटापा, खराब खानपान, जीवनशैली और प्रदूषण हैं।
डॉ. विलियम्स ने बताया कि कई और मरीजों का इलाज STAR सिस्टम से शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा, “जो पुरुष कभी सोचते थे कि वे जैविक पिता नहीं बन पाएंगे, उनके पास अब एक सच्चा मौका है।”