प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
फाल्गुन मास की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है।
पूर्णिमा पर स्नान, दान, जप और तर्पण का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से पापों का शमन होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्म व हनुमान जी की उपासना के साथ चंद्रमा का व्रत भी करना चाहिए। दान-पुण्य व गरीबों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
वस्त्र दान भी महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
फाल्गुन पूर्णिमा कब है?- इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ रही है। फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।
व्रत कब किया जाएगा- फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च यानी आज ही किया जाएगा। पूर्णिमा के दिन चांद की पूजा की जाती है। 13 मार्च को चंद्रोदय के समय पूर्णिमा तिथि रहेगी जिस वजह से 13 मार्च को ही व्रत किया जाएगा।
स्नान-दान की पूर्णिमा- फाल्गुन पूर्णिमा का स्नान-दान 14 मार्च को किया जाएगा। पूर्णिमा का स्नान उदयातिथि के अनुसार किया जाता है, जिस वजह से 14 मार्च को स्नान-दान की पूर्णिमा रहेगी।
पूजा-विधि:
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें।
नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें। भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।