अगले हफ्ते चीन दौरे पर जाएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गलवान झड़प के बाद पहली यात्रा; कई लिहाज़ से अहम…

भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले सप्ताह 25 से 27 जून तक चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा करेंगे।

यह यात्रा 2020 के गलवान संघर्ष के बाद किसी भारतीय रक्षा मंत्री की चीन की पहली आधिकारिक यात्रा होगी।

एससीओ की इस बैठक में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित 10 देशों के रक्षा मंत्री हिस्सा लेंगे। इस दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग, आतंकवाद विरोधी उपायों और कनेक्टिविटी बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।

द्विपक्षीय वार्ता की संभावना

राजनाथ सिंह इस बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जुन और रूसी समकक्ष आंद्रेई बेलौसोव के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं।

अक्टूबर 2024 में हुए भारत-चीन सीमा समझौते के बाद चीनी रक्षा मंत्री के साथ राजनाथ सिंह की पहली पहली मुलाकात होगी। उस समझौते के तहत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए सैनिकों की वापसी और गश्त की बहाली पर सहमति बनी थी।

इसके अलावा, राजनाथ सिंह कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के रक्षा मंत्रियों से भी मुलाकात कर सकते हैं।

हालांकि, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के साथ कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी। भारत ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के कारण ऐसी कोई वार्ता संभव नहीं है।

भारत-चीन संबंधों में सुधार के संकेत

यह यात्रा भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों ने कई विश्वास-बहाली के उपाय शुरू किए हैं।

इनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, नदियों के जल डेटा साझा करना, सीधी हवाई उड़ानों की बहाली और वीजा प्रक्रिया को आसान करना शामिल है।

भारत ने चीन की एससीओ अध्यक्षता को भी समर्थन दिया है, जिसे हाल ही में नई दिल्ली में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी उप विदेश मंत्री सुन वेइडॉन्ग के बीच हुई बातचीत में दोहराया गया।

इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दिसंबर 2024 में 23वें विशेष प्रतिनिधि बैठक के लिए चीन का दौरा किया था, और भारतीय विदेश सचिव ने जनवरी 2025 में बीजिंग का दौरा किया था।

क्यों खास है ये यात्रा

यह यात्रा 2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में आए ठहराव के बाद हो रही है, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया था।

अक्टूबर 2024 के समझौते के बाद दोनों देशों ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कदम उठाए हैं।

राजनाथ सिंह ने इससे पहले लाओस में आयोजित 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (एडीएमएम-प्लस) में नवंबर 2024 में एडमिरल डोंग जुन से मुलाकात की थी, जो सीमा समझौते के बाद उनकी पहली बातचीत थी।

यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के मुद्दे चर्चा में हैं। हाल ही में, भारत ने इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हवाई हमलों की निंदा करने वाले एससीओ के बयान से खुद को अलग कर लिया था।

भारत ने स्पष्ट किया कि वह इस बयान के मसौदे में शामिल नहीं था और उसने कूटनीति और तनाव कम करने की अपनी नीति को दोहराया।

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