बांग्लादेश सेना ने उन रिपोर्टों पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जिनमें सेना के भीतर ‘असंतोष’ और ‘तख्तापलट की आशंका’ जताई गई थी।
इस पर बांग्लादेश सेना की ओर से मंगलवार रात इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस डायरेक्टोरेट (ISPR) ने आधिकारिक बयान जारी किया।
बयान में कहा गया, “बांग्लादेश सेना ने हाल ही में भारतीय मीडिया के कुछ संगठनों द्वारा प्रकाशित आधारहीन और झूठी रिपोर्टों को गंभीरता से लिया है। इन रिपोर्टों में बांग्लादेश सेना में कथित असंतोष और कमांड चेन टूटने की बातें कही गई हैं, जो पूरी तरह से निराधार हैं। यह बांग्लादेश और इसकी सेना की स्थिरता को नुकसान पहुंचाने के लिए एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा प्रतीत होता है।”
असंतोष या बगावत की खबरें पूरी तरह से झूठी- बांग्लादेशी सेना
ISPR ने कहा कि बांग्लादेश सेना पूरी तरह संगठित और अनुशासित है तथा संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए संकल्पबद्ध है।
बयान में आगे कहा गया, “सेना के कमांड चेन में कोई समस्या नहीं है, और सभी अधिकारी, जिनमें वरिष्ठ जनरल भी शामिल हैं, पूरी तरह से संविधान, सेना की कमांड संरचना और बांग्लादेश की जनता के प्रति वफादार हैं। सेना में किसी तरह के असंतोष या बगावत की खबरें पूरी तरह से झूठी और दुर्भावनापूर्ण हैं।”
बता दें कि बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर भारत आ गईं थी और पिछले साल पांच अगस्त से वह यहां हैं।
इन व्यापक प्रदर्शन के बाद उनकी अवामी लीग की 16 साल पुरानी सरकार गिर गई थी। इसके बाद मोहम्मद यूनुस ने आठ अगस्त, 2024 को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कार्यभार संभाला था।
इसके बाद से बांग्लादेश में उथल-पुथल का माहौल जारी है। इस बीच बांग्लादेश की पाकिस्तान के साथ करीबी ने इस आशंका को जन्म दिया है कि वहां सेना और अंतरिम सरकार के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
तख्तापलट की कोशिश करने के आरोप
हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पाकिस्तान से करीबी संबंध रखने वाले एक वरिष्ठ बांग्लादेशी सैन्य अधिकारी पर सेना में तख्तापलट की कोशिश करने के आरोप में निगरानी रखी गई है।
सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने यह आदेश तब दिया जब उन्हें क्वार्टर मास्टर जनरल (क्यूएमजी) लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान द्वारा उनकी जगह लेने की कोशिशों की भनक लग गई।
दरअसल इससे पहले चीफ के सचिवालय को जमात समर्थक लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान द्वारा उनकी जानकारी के बिना बुलाई जा रही बैठकों के बारे में पता चला था।
डिवीजनल कमांडरों के साथ ये बैठकें बांग्लादेश सेना के कार्यवाहक प्रमुख के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए बुलाई गई थीं। हालांकि, उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया। अब इसी तरह की खबरों पर बांग्लादेश की सेना की सफाई आई है।
‘पहले भी फैला चुका है झूठी खबरें’
बांग्लादेश सेना ने विशेष रूप से एक भारतीय मीडिया संस्थान का जिक्र करते हुए कहा कि यह संगठन पहले भी इसी तरह की भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित कर चुका है।
बयान के अनुसार, “26 जनवरी 2025 को भी इस मीडिया संस्थान ने ऐसी ही झूठी खबरें प्रकाशित की थीं। लगातार इस तरह की फर्जी रिपोर्ट प्रकाशित करने से इसकी मंशा और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।”
इसके अलावा, बयान में कुछ अन्य ऑनलाइन पोर्टलों और टेलीविजन चैनलों पर भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने भी इस तरह की झूठी खबरें फैलाईं और दुष्प्रचार अभियान को और हवा दी।
भारतीय मीडिया से जिम्मेदार पत्रकारिता की अपील
बांग्लादेश सेना ने मीडिया को जिम्मेदार पत्रकारिता अपनाने की नसीहत देते हुए कहा कि बिना सत्यापन और आधिकारिक बयान लिए इस तरह की सनसनीखेज खबरें प्रकाशित न करें।
इसने कहा, “हम इन मीडिया संस्थानों से अनुरोध करते हैं कि वे भ्रामक रिपोर्टिंग से बचें और खबर प्रकाशित करने से पहले इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) से आधिकारिक बयान लें।”
ISPR ने आश्वासन दिया कि सेना की ओर से हमेशा सही और आधिकारिक जानकारी उपलब्ध कराई जाती है, और मीडिया को किसी भी खबर से पहले सत्यापन की प्रक्रिया अपनानी चाहिए।
बांग्लादेश सेना ने अंत में स्पष्ट किया कि वह देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
सेना ने सभी मीडिया संगठनों से अपील की कि वे झूठी खबरें फैलाने से बचें, जिससे अनावश्यक तनाव और भ्रम की स्थिति पैदा न हो।