CM बनने की चाह से कांग्रेस नाराज? उलझन में शशि थरूर, क्या छोड़ेंगे पार्टी?…

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर की पार्टी नेतृत्व से बढ़ती नाराजगी अब खुलकर सामने आ रही है।

हाल ही में उन्होंने कांग्रेस में खुद को दरकिनार किए जाने की शिकायत की और यहां तक कह दिया कि अगर पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है, तो उनके पास विकल्प मौजूद हैं।

थरूर के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है और उनके भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

थरूर को सीएम बनने का अरमान

चार बार कांग्रेस से सांसद रह चुके शशि थरूर ने हाल ही में केरल कांग्रेस में नेतृत्व के अभाव को लेकर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाए थे।

उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात कर अपनी भूमिका को लेकर चर्चा की, जिससे यह अटकलें और तेज हो गईं कि वह पार्टी से दूरी बना सकते हैं।

हालांकि, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के सुधाकरण ने इस संभावना से इनकार किया और कहा कि थरूर न तो पार्टी छोड़ेंगे और न ही सीपीएम में शामिल होंगे।

थरूर ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर कांग्रेस अगले विधानसभा चुनावों में सत्ता में आती है, तो वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रहेंगे।

उनका दावा है कि विभिन्न सर्वेक्षणों में उन्हें केरल में सबसे लोकप्रिय कांग्रेस नेता के रूप में दिखाया गया है। यह बयान कांग्रेस के राज्य नेतृत्व के लिए असहज करने वाला साबित हो रहा है।

थरूर को लेकर कांग्रेस में नाराजगी

थरूर के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए के सुधाकरण ने उन्हें आगाह किया कि पार्टी लाइन से बाहर जाकर मीडिया में अपनी बात रखना सही तरीका नहीं है।

सुधाकरण ने कहा, “थरूर के पास अपनी गलतियों को सुधारने का समय है। मीडिया के माध्यम से पार्टी के खिलाफ बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण था। किसी को भी अपनी सीमाएं पार नहीं करनी चाहिए।”

वहीं, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रमेश चेन्निथला ने थरूर को दी गई जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए कहा कि पार्टी ने उन्हें हमेशा प्रमुख भूमिकाएं दी हैं। चेन्निथला ने कहा, “कांग्रेस को थरूर की जरूरत है, तभी तो उन्हें चार बार सांसद बनाया गया, केंद्रीय मंत्री पद दिया गया और पार्टी की शीर्ष संस्थाओं में शामिल किया गया।”

क्या कांग्रेस से हो रहा मोहभंग?

थरूर के हालिया बयानों ले लगता है कि कांग्रेस से उनका मोहभंग बढ़ रहा है। उनकी राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका की मांग और मुख्यमंत्री बनने की इच्छा से पार्टी के अंदर खलबली मची हुई है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुरलीधरन ने कहा कि थरूर को राष्ट्रीय राजनीति में युवा वोटरों को आकर्षित करने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए, जबकि केरल में पार्टी के स्थानीय नेता संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे।

हालांकि, थरूर के विकल्प वाले बयान के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह किसी नई राजनीतिक राह की ओर बढ़ रहे हैं या फिर कांग्रेस नेतृत्व से अपनी भूमिका को और महत्वपूर्ण बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस आलाकमान इस मामले को कैसे संभालता है और थरूर अपने अगले कदम के तौर पर क्या फैसला लेते हैं।

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