डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद सरकारी कर्मचारियों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं।
बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों ने बाय आउट प्लान के तहत रिटायरमेंट ले लिया है। वहीं कई विभागों में सरकारी कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई है।
इसके अलावा एलन मस्क ने ऐलान किया है कि जो भी कर्मचारी अपनी वर्क रिपोर्ट नहीं भेजेंगे उनका भी इस्तीफा मान लिया जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क को कॉस्ट कटिंग की जिम्मेदारी दी है।
DOGE (डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी) के हेड एलन मस्क के इस कदम की आलोचना भी हो रही है। हालांकि ट्रंप और मस्क पहले नहीं हैं जो कि अमेरिका में इस तरह की छंटनी कर रहे हैं।
30 साल पहले बिल क्लिंटन और उनके सहयोगी उपराष्ट्रपति अल्बर्ट गोर ने भी इस तरह की रणनीति बनाई थी और उसे लागू भी किया था।
उस समय की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को हटाकर अरबों डॉलर की बचत की थी। तत्कालीन सरकार ने इसे ‘रीइन्वेंटिंग गवर्नमेंट’ का नाम दिया था।
क्लिंटन के समय में इस प्लान में भूमिका निभाने वाले लोगों का कहना है कि वह इससे बहुत अलग था। उस समय किसी तरह की परेशानी भी नहीं हुई थी और अरबों डॉलर की बचत भी की गई थी।
उन्होंने कहा कि मस्क की तरह अचनाक किसी से नौकरी छोड़ने को नहीं कहा गया था। सरकारी कर्मचारियों के कार्य में परिवर्तन करने की कोशिश की गई थी और इस काम में कई साल लगे थे।
क्लिंटन के समय के जानकार लोगों का कहा कि बिल क्लिंटन ने बिना किसी संवैधानिक संकट के काम कियाथा। इ लोगों की तरह हमने छंटनी नहीं की बल्कि लोगों पर ही फैसला छोड़ दिया था।
इनका लक्ष्य केवल नौकरियां खत्म करना है। हमारा लक्ष्य काम को अच्छा करना औऱ कम कीमत में ज्यादा काम करवाना था। हमने प्राइवेट सेक्टर को भी मौका दिया था।
ऐसे में नौकरियां बढ़ गई थीं। इसके अलावा तकनीक का सहारा लिया गया और काम को आसान बनाया गया।
उन्होंने कहा, सबसे बड़ी बात कि ट्रंप प्रशासन सरकारी कर्मचारियों को बुरा मानती है बल्कि क्लिंटन उन्हें अच्छा मानते थे।