छत्तीसगढ़; धमतरी: हम कमार हैं साहब, पंप सुधरवा दीजिए, पानी की किल्लत है! 16 लाख का सोलर ड्यूल पंप नहीं चला 1 माह भी! जल जीवन मिशन के कार्य की खुली पोल…

सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):

धमतरी- जल जीवन मिशन के कार्य में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है, जहां जिले की कुकरेल तहसील से महज 3 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कांटा कुर्रीडीह के कमारपारा बहनापथरा में बसे लगभग 18 परिवारों को पानी के लिए लम्बा सफर तय करना पड़ रहा है।

जबकि 4-5 माह पहले ही वहां पर जल जीवन मिशन के तहत लगभग 16 लाख की लागत से सोलर ड्यूल पंप लगाया गया जिससे कि कमार परिवारों को गर्मी में पेयजल संकट से जूझना न पड़े।

इस लाखों के सोलर ड्यूल पंप से 1 माह भी पानी नहीं पी सके कमार, और पंप ख़राब हो गया।

अब उन्हें पानी लेने लगभग आधा किलोमीटर का सफर तय कर भीषण गर्मी की तपती धूप में जाना पड़ता है जहां एक अन्य बोर है।

यदि ये भी बोर किसी कारण वश ख़राब/फेल हो गया तो, इन कमार परिवारों का भगवान ही मालिक है।

यहां लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग/ क्रेडा विभाग की एक बड़ी भर्राशाही सामने आई, जिसमें 15 लाख 70 हजार के सोलर ड्यूल पंप को एक ऐसे बोर से जोड़ दिया गया है जो हैंड पंप था! मतलब हैंड पंप के ही बोर में विभाग ने सबमर्सिबल पंप लगाकर भ्रष्टाचार किया है।

जबकि ग्रामीण बताते हैं कि उस हैंड पंप से पहले भी गंदा पानी ही आता था, बावजूद आधिकारियों की मनमानी के चलते उसी बोर में सबमर्सिबल पंप लगाकर कार्य पूर्ण कर दिया गया।

ज़िले में ऐसे सैकड़ों बोर हैं जिनमें इस तरह की भर्राशाही कर लाखों करोड़ों का चूना शासन प्रशासन को लगाया जा रहा है, साथ ही क्षेत्र की जनता को भी धोखा दिया जा रहा है।

आने वाले दिनों में ऐसे और भी मामले सामने आयेंगे जहां पर जल जीवन मिशन/क्रेडा के ऐसे कार्यों के फेल होने की खबरें आम होंगी! क्योंकि भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है।

मालूम हो कि जल जीवन मिशन योजना की घोषणा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को की थी, इस योजना का उद्देश्य था कि देश के सुदूर अंचलों (ग्रामीण इलाकों) के हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंच सके।

जिसे 2024 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके लिए ज़िला स्तर पर सैकड़ों बैठकें भी कलेक्टरों, अधिकारियों द्वारा ली गईं, लेकिन उन बैठकों के परिणाम जैसे आने चाहिए थे वैसे अब तक नहीं आ सके!

बीते 4 अप्रैल को भी कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने जल जीवन मिशन के संचालित कार्यों की समीक्षा की, और जल जीवन मिशन अंतर्गत किये गये कार्यों में कोई भी कार्य लंबित न रहें, इन कार्यों को 15 दिवस में पूरा करने के निर्देश विद्युत और क्रेडा विभाग के अधिकारियों को दिये।

विडंबना है कि लंबित कार्य तो पूर्णता की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन जो कार्य पूर्ण हो चुके हैं वे पुनः मरम्मत की आवाज़ बुलंद करने लगे हैं। ऐसे में क्या ये माना जाए कि योजना सफ़ल हो रही?

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