सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):
धमतरी- इन दिनों अंचल में गर्मी अपने शबाब में पहुंच चुकी है, जिसके चलते यहां के नागरिक भीषण गर्मी से राहत पाने अनेक उपायों में जुट गए हैं, उन्हीं उपायों में से एक है आइस्क्रीम, कुल्फी।
जिसे बच्चों समेत बड़े भी खाना खूब पसंद करते हैं। और गर्मी से थोड़ी राहत भी महसूस करते हैं। लेकिन यहां एक बड़ा सवाल है कि जिस आइस्क्रीम को लोग बड़े चाव से खाकर राहत महसूस कर रहे हैं, वो कितनी शुद्ध है?
मालूम हो कि गर्मी के सीजन में आइसक्रीम, कुल्फी की डिमांड कई गुना बढ़ जाती है, तो वही ब्रांडेड कुल्फी व आइसक्रीम काफी महंगी भी होती हैं, जिसे आर्थिक तौर से तंग लोग खरीद नहीं सकते, तो ऐसे में उन लोगों के लिए सस्ती कुल्फी आइसक्रीम का बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है, जिसे साइकिल-ठेलों के माध्यम से क्षेत्र के गली मोहल्लों में 5-10-20 रुपए में बेचा जाता है। जिसकी गुणवत्ता का अंदाज़ा उनकी कीमत से ही लगाया जा सकता है।
यह काम इन दिनों शहर में भी बड़े धड़ल्ले से चल रहा है, जहां नकली कलर, फ्लेवर, एसेंस, सैकरीन, दूध पाउडर आदि घटिया सामग्री से निर्मित कुल्फी और आइसक्रीम बड़ी मात्रा में शहर के गली मोहल्लों में बेची जा रही है, जो कि यहां के रहवासियों ख़ास कर जो मध्यम वर्ग या निम्न वर्ग से आते है, उनकी सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिनमें न ही निर्माण तिथि दर्ज रहती है और न ही अवसान तिथि? इस मामले में खाद्य सुरक्षा अधिकारी फ़णेश्वर पिथौरा से दूरभाष के माध्यम से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
यहां ताज्जुब की बात है कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग इस गंभीर मामले में अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं किया?जबकि नकली कुल्फी का गोरखधंधा बीते 1 माह से भी ज़्यादा समय से यहां चल रहा है, ऐसे में विभाग का इस ओर ध्यान न देना कई सवालों के घेरे में है। कहीं ये बेपरवाही भारी न पड़ जाए…
बहरहाल जल्द ही इस मामले में कुछ और भी खुलासे किए जाएंगे।