Chaitra Purnima 2025: चैत्र पूर्णिमा व्रत कब रखा जाएगा? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और इसका महत्व…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार): केवल व्हाट्सएप मेसेज 94064 20131

चैत्र पूर्णिमा हिंदू नववर्ष की प्रथम पूर्णिमा होती है।

इसी पावन दिन त्रेता युग में हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी दिन हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था।

इस दिन बड़े ही धूम-धाम से हनुमान जी का जन्मदिन मनाया जाता है। हनुमान जी का जन्मोत्सव होने से इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

चैत्र पूर्णिमा व्रत कब रखा जाएगा- 12 अप्रैल, शनिवार

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 12, 2025 को 03:21 ए एम बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त – अप्रैल 13, 2025 को 05:51 ए एम बजे

पूर्णिमा उपवास के दिन चन्द्रोदय – 06:18 पी एम

चैत्र पूर्णिमा पूजा-विधि:

सुबह स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें।

पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस बार कोरोना वायरस की वजह से सुरक्षित रहने के लिए घर में रहना ही बेहतर है। आप नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।

इस दिन विधि- विधान से हनुमान जी की पूजा करें।

इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।

हनुमान चालीसा का पाठ करें।

हनुमान जी को भोग लगाएं और फिर हनुमान जी और सभी देवी- देवताओं की आरती करें।

चैत्र पूर्णिमा का महत्व

चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।

इस दिन हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।

इस पावन दिन हनुमान जी की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख, धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

चैत्र पूर्णिमा के दिन करें दान- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के दिन दान का दोगुना फल मिलता है।

पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व- इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना बेहद उत्तम माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

चंद्रमा की करें पूजा- चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का भी विधान है। रात के समय चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रमा की शुभता प्राप्त होती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की शुभता में वृद्धि होती है।

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