प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
: शक्ति की देवी की आराधना का अनुष्ठान वासंतिक नवरात्र आज से शुरू हो गया है।
इस बार नवरात्र आठ दिनों का है। पंचमी तिथि का क्षय है। पंचागों के अनुसार इस बार रविवार से नवरात्र शुरू होने से देवी का आगमन हाथी पर हो रहा है।
भगवती का हाथी पर आगमन होना अच्छी बारिश का संकेत है। हाथी पर आना शुभ है। नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना करने से सभी कष्ट और दुखों से मुक्ति मिलती है।
आज यानी 30 मार्च को घटस्थापना कर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाएगी।
घटस्थापना या कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
घटस्थापना की शुभ अवधि 04 घंटे 08 मिनट की है। घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना की कुल अवधि 50 मिनट है।
पूजा-विधि: नवरात्रि के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करके देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी आदि पहनाकर रखना चाहिए।
इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोना चाहिए। जिसमें प्रतिदिन उचित मात्रा में जल का छिड़काव करते रहना होता है।
मंगल कलश में गंगाजल, सिक्का आदि डालकर उसे शुभ मुहूर्त में आम्रपल्लव और श्रीफल रखकर स्थापित करें। फल-फूल आदि को अर्पित करते हुए देवी की विधि-विधान से प्रतिदिन पूजा करें।
अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें पूड़ी, चना, हलवा आदि का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिण देकर विदा करें।
गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के पश्चात् देवी दुर्गा की आरती गाएं। पूजा की समाप्ति के बाद कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन करें।