कांग्रेस के लिए चुनौती न बन जाए जाति जनगणना, दो जातियों ने सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा….

कर्नाटक में दो प्रभावशाली समुदाय लिंगायत और वोक्कालिगा राज्य की सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं।

सरकार द्वारा विवादास्पद जातिगत जनगणना रिपोर्ट को मंत्रिमंडल के समक्ष रखने के फैसले से दोनों समुदायों में गहरी नाराजगी है।

वे इसे अपने राजनीतिक प्रभाव के लिए खतरा मान रहे हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर और बाहर से सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

खासकर खुद कांग्रेस के विधायकों ने जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर असहमति जताई है। 17 अप्रैल को होने वाली विशेष कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर सरकार की स्थिति तय होगी, जिससे विभिन्न समुदायों की आगामी रणनीति प्रभावित हो सकती है।

वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मंगलवार को अपनी ही पार्टी के वोक्कालिगा विधायकों से मुलाकात की और रिपोर्ट पर उनकी राय जानी।

उन्होंने मीडिया से कहा, “एक समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर मैं चाहूंगा कि हम मिलकर कैबिनेट बैठक में अपने पक्ष को मजबूती से रखें।” हालांकि उन्होंने अपने रुख को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया।

लिंगायत-वोक्कालिगा की जनसंख्या हिस्सेदारी पर रार

जाति सर्वेक्षण की आधिकारिक रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है, लेकिन लिंगायत और वोक्कालिगा का हिस्सा राज्य की आबादी का एक चौथाई से भी कम है।

उनकी जनसंख्या हिस्सेदारी कुरुबा की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं है, जो एक अपेक्षाकृत पिछड़ा जाति समूह है। लिंगायत और वोक्कालिगा जाति संघों और नेताओं ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर सवाल उठाए हैं।

उनका दावा है उनकी आबादी को कम आंका गया है। लिंगायत और वोक्कालिगा की जनसंख्या हिस्सेदारी को लेकर यह संघर्ष कर्नाटक में कोई नई बात नहीं है।

लिंगायत और वोक्कालिगा कोनजरअंदाज करना मुश्किल

कांग्रेस का मौजूदा सामाजिक गठबंधन लिंगायत और वोक्कालिगा को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकता। पिछले कुछ वर्षों से एग्जिट पोल तेजी से गलत हो रहे हैं। 2023 के कर्नाटक चुनावों के लिए इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल ने कांग्रेस के वोट शेयर (वास्तविक 43.2% के मुकाबले 43%) और सीटों (वास्तविक 135 के मुकाबले 122-140) की सटीक भविष्यवाणी की। एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल द्वारा दिए गए जाति-वार समर्थन संख्या से पता चलता है कि कांग्रेस का वोक्कालिगा और लिंगायतों के बीच 24-20 फीसदी वोट शेयर था।

वोक्कालिगा का विरोध और चेतावनी

वोक्कालिगा समुदाय की शीर्ष संस्था वोक्कालिगारा संघ ने मंगलवार को आपात बैठक कर राज्यव्यापी प्रदर्शन की योजना बनाई है। संघ ने चेतावनी दी है कि अगर जातिगत जनगणना को लागू किया गया, तो वे कांग्रेस सरकार को गिराने तक का आंदोलन छेड़ सकते हैं।

राजनीतिक संकट के संकेत

जातिगत जनगणना रिपोर्ट के चलते कर्नाटक की कांग्रेस सरकार एक गंभीर राजनीतिक संकट में घिरती नजर आ रही है। सत्ताधारी पार्टी के भीतर ही मतभेद उभरने लगे हैं, खासकर उन समुदायों से आने वाले नेताओं के बीच, जिनकी जनसंख्या आंकड़ों में घटी हुई दर्शाई गई है।

कांग्रेस के पास मौका भी

कांग्रेस के पास कर्नाटक के सबसे सफल राजनीतिक गठबंधन को पुनर्जीवित करने का मौका है। कांग्रेस ने 2023 के कर्नाटक चुनावों में 60 फीसदी से अधिक विधानसभा क्षेत्रों (एसी) में जीत हासिल की। इसमें उसका वोट शेयर 43 प्रतिशत रहा, लेकिन कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में वोट शेयर में सुधार कर 45.6 फीसदी कर लिया, लेकिन कांग्रेस राज्य के 28 संसदीय क्षेत्रों (पीसी) में से सिर्फ नौ सीट पर ही जीत हासिल कर सकी।

वोटों में इस गिरावट का एक बड़ा कारण भाजपा और जद (एस) के बीच गठबंधन था, जिसे क्रमशः लिंगायत और वोक्कालिगा का समर्थन प्राप्त है।

अब सबकी नजर 17 अप्रैल को होने वाली कैबिनेट बैठक पर टिकी है, जिसमें यह तय होगा कि सरकार इस रिपोर्ट को स्वीकार करेगी या फिर समुदायों के दबाव में पीछे हटेगी।

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