कर्नाटक में कांग्रेस सरकार से पहले ही अपनी पांच गारंटी योजनाओं के लिए 52,000 करोड़ रुपये आवंटित करने को लेकर आलोचना का सामना कर रही थी।
अब एक नए विवाद में घिर गई है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए 4000 से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया है।
इन कार्यकर्ताओं के लिए सालाना 60 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। हालांकि, सरकार ने इस खर्च का आकार सार्वजनिक नहीं किया है।
सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में गारंटी योजना कार्यान्वयन पैनल के वेतन और बैठक शुल्क के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद विपक्षी दलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
विपक्ष ने इसे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को करदाताओं के पैसों से इनाम देने का स्पष्ट प्रयास बताया।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दिए जा रहे फायदे पर उठे सवाल
कर्नाटक सरकार ने गारंटी योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए 38 पैनल बनाए हैं, जिनमें प्रत्येक पैनल में एक अध्यक्ष, पांच उपाध्यक्ष, 31 सदस्य और एक सदस्य-सचिव शामिल होंगे।
इन पैनल के अध्यक्ष को कैबिनेट रैंक मिलेगा, जबकि उपाध्यक्षों को जूनियर मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। इन पैनल को राज्य, जिला और तालुक स्तरों पर कार्यालय प्रदान किए जाएंगे।
इन पैनल के अध्यक्षों को मासिक रूप से 40,000 रुपये, उपाध्यक्षों को 10,000 रुपये, और तालुक स्तर पर अध्यक्षों को 25,000 रुपये की तनख्वाह दी जाएगी।
इसके अलावा, बैठक के लिए भी सदस्य को शुल्क मिलेगा। जिला और BBMP स्तर पर सदस्यों को 1,200 रुपये प्रति बैठक, जबकि तालुक स्तर पर 1,100 रुपये प्रति बैठक मिलेंगे।
विपक्ष ने किया सरकार पर हमला
इस फैसले का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का बचाव किया और कहा कि गारंटी योजनाओं की निगरानी के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई थी।
उनका यह बयान विपक्ष के गुस्से को और बढ़ा गया और भाजपा व जेडी(एस) के विधायक सदन में पहुंच गए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जन कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन पर अत्यधिक नियंत्रण दिया जा रहा है।
विपक्ष के नेता आर अशोक ने सवाल ने पूछा, “क्या हम224 विधायक और नौकरशाही इन योजनाओं को लागू करने के लिए सक्षम नहीं हैं? क्यों राज्य के खजाने का पैसा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की मौज-मस्ती पर खर्च हो रहा है?”
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इन पैनलों में नियुक्ति देने के विरोध पर शिवकुमार ने कहा, “यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत है जिसने 2023 विधानसभा चुनावों में पार्टी को सत्ता में वापस लाया और हम उन्हें इन पदों से सम्मानित करना चाहते हैं।”
स्पीकर उटी खादर के प्रयासों के बावजूद विरोध जारी रहा। शिवकुमार ने आश्वासन दिया कि वह विपक्ष की मांग को कैबिनेट में ले जाएंगे और पैनल प्रमुख के रूप में स्थानीय विधायकों को नियुक्त करने पर विचार करेंगे, जबकि कांग्रेस कार्यकर्ता सदस्य के रूप में बने रहेंगे।