ओडिशा कैडर की सीनियर आईएएस अधइकारी सुजाता कार्तिकेयन ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली है।
केंद्र सरकार ने भी उनके फैसले को स्वीकृति दे दी है। सुजाता ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी आईएएस वीके पांडियन की पत्नी हैं।
उन्हें शिक्षा और खेल के क्षेत्र में बड़े नीतिगत बदलावों की वजह से जाना जाता है। लंबे समय तक उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों में भी काम किया।
सुजाता कार्तिकेयन दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज की टॉपर रही हैं। वह 2000 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्विविद्यालय से इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में पोस्ट ग्रैजुएशन किया था।
आईएएस अकैडमी में भी वह गोल्ड मेडलिस्ट थीं। माओवादी प्रभावित सुदरगढ़ में वह कलेक्टर थीं।
उन्होंने इस इलाके में हाईस्कूल पास करने वाली छात्राओं को साइकल देने की स्कीम शुरू करवाई थी। इसके बाद पूरे ओडिशा में ही स्कूलों में लड़कियों की संख्या में काफी इजाफा हो गया था।
राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों में लोगों को माओवादियों के प्रभाव से बचाने के लिए उन्होंने यहां फुटबॉल जैसे खेलों को प्रमोट किया।
उन्होंने यहां पर हॉकी खेलने वाली लड़कियों और लड़कों के लिए हॉस्टल बनवाया। बता दें कि सुजाता कार्तिकेयन ने निजी कारण बताते हुए समय से पहले रिटायरमेंट लेने के लिए आवेदन किया था। उनके पति वीके पांडियन ने भी वीआरएस लिया था और इसके बाद वह बीजेडी में शामिल हो गए थे।
सुंदरगढ़ की कलेक्टर रहते हुए कार्तिकेयन ने यहां मिड डे मील में अंडे को शामिल करवाया था। 2024 में आम चुनाव के बाद ही उन्होंने छह महीने की छुट्टी के लिए आवेदन कर दिया था।
कार्तिकेय कटक जिले की पहली महिला कलेक्टर थीं। उन्होंने पटनायक सरकार के मिशन शक्ति के लिए भी काम किया और 70 लाख महिलाओं को इससे जोड़ा। स्वयं सहायता समूहों से महिलाओं को जोड़ने के लिए उन्होंने काफी काम किया। पांच महीने उन्होंने कल्चरल सेक्रेटरी के रूप में भी काम किया।
बीते साल चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने कार्तिकेयन का ट्रांसफर कर दिया था। बीजेपी ने उनपर बीजेडी का एजेंट होने के आरोप लगा दिए थे।
दो दशकों के बाद बीजेडी को हटाकर बीजेपी ने ओडिशा की सत्ता पर कब्जा किया. इसके बाद वीके पांडियन भी सक्रिय राजनीति से अलग हो गए और सुजाता ने बेटी की पढ़ाई को लेकर 6 महीने की छुट्टी ले ली।