बांग्लादेश से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो भारत के लिए टेंशन की बात है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश लालमोनिरहाट एयरबेस के अंदर एक विशाल हैंगर का निर्माण कर रहा है।
यह हैंगर लड़ाकू विमानों को पार्क करने के लिए तैयार किया जा रहा है। इस हफ्ते (16 अक्टूबर) बांग्लादेशी सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां ने इस एयरबेस का दौरा किया और निर्माण कार्य की प्रगति का जायजा लिया।
खास बात यह है कि यह एयरबेस भारत के रणनीतिक ‘चिकन नेक’ यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बेहद करीब है।
नॉर्थईस्ट न्यूज की रिपोर्ट में बताया गया है कि लालमोनिरहाट एयरबेस के निर्माणाधीन हैंगर के आसपास के क्षेत्र को बांग्लादेशी वायुसेना ने अपने नियंत्रण में ले लिया है।
यह नया हैंगर बांग्लादेशी एयरफोर्स के पुराने J-7 लड़ाकू विमानों को बदलने वाले नए विमानों के पार्किंग स्थल के रूप में काम आ सकता है।
हैंगर का निर्माण स्थल लालमोनिरहाट जिले के महेंद्रनगर यूनियन के अंतर्गत हरिभंगा गांव में है। यह स्थान भारत-बांग्लादेश सीमा से महज 20 किलोमीटर से कम दूरी पर है, जो पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले से सटा हुआ है। लालमोनिरहाट बांग्लादेश के रंगपुर डिवीजन का हिस्सा है।
यह एयरबेस कुल 1166 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसका रनवे 4 किलोमीटर लंबा है। ब्रिटिश काल में 1931 में स्थापित इस बेस का उपयोग 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने किया था।
इसके अलावा यह लंबे समय से विरान पड़ा रहा। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लालमोनिरहाट एयरबेस के पुनरुद्धार में चीन की भूमिका हो सकती है।
नई दिल्ली की सबसे बड़ी चिंता यह है कि यहां पाकिस्तान और चीन से मिले फाइटर जेट्स को यहां तैनात किया जा सकता है, जिससे चीनी और पाकिस्तानी अधिकारियों की मौजूदगी बढ़ेगी। इस कारण यह स्थान भारत-विरोधी गतिविधियों का केंद्र बन सकता है।
नॉर्थईस्ट न्यूज के अनुसार, इस हैंगर में कम से कम 10-12 लड़ाकू विमान पार्क हो सकते हैं। जनरल जमां के दौरे के बाद यहां छत निर्माण का काम तेज हो गया है।
पिछले छह महीनों से चल रहे इस प्रोजेक्ट में अब गति आ गई है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि अगला चरण कंक्रीट की मजबूत चारदीवारी का निर्माण होगा।
इसी तरह ठाकुरगांव एयरबेस की सुरक्षा के लिए पहले ही नई परिधि दीवार बना ली गई है। ठाकुरगांव एयरबेस 550 एकड़ में फैला है और इसमें 1 किलोमीटर लंबा अप्रयुक्त रनवे मौजूद है। लालमोनिरहाट और ठाकुरगांव के बीच की दूरी करीब 135 किलोमीटर है।
बताते चलें कि इस साल मई में मीडिया रिपोर्ट्स में लालमोनिरहाट एयरबेस के पुनर्विकास में चीन के संलिप्त होने की आशंका जताई गई थी। हालांकि, कोई ठोस सबूत नहीं मिला है कि यह हैंगर बीजिंग के निर्देश पर बनाया जा रहा है।