हावड़ा एक्सप्रेस की चपेट में आने से शिशु हाथी की मौत, राजाजी टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में हुआ हादसा…

 सोमवार सुबह हरिद्वार से देहरादून जा रही हावड़ा दून एक्सप्रेस (13009) की चपेट में एक शिशु हाथी आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह घटना मोतीचूर-रायवाला स्टेशन के बीच राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज के अंतर्गत हुई।

इस घटना के बाद दिल्ली आनंद विहार जा रही वंदे भारत ट्रेन को रायवाला स्टेशन रोका गया।

वहीं, इस मामले में ट्रेन के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट के विरुद्ध वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। बताया जा रहा है कि दोनों को हिरासत में ले लिया गया है।

हादसा सोमवार सुबह करीब छह बजकर 31 मिनट पर हुआ। हाथियों का झुंड राजाजी टाइगर रिजर्व के बीच से गुजर रहे रेलवे ट्रैक को पार कर रहा था। इसी बीच योगनगरी रेलवे स्टेशन जा रही हावड़ा-दून एक्सप्रेस ट्रेन (13009) आ गई।

हाथियों ने तो रेलवे ट्रैक पार कर लिया था, लेकिन झुंड में साथ चल रहा शिशु हाथी ट्रेन की चपेट में आ गया। मरने वाले शिशु हाथी की उम्र करीब छह से आठ वर्ष बताई जा रही है।

वहीं, इस संबंध में वन्यजीव प्रतिपालक अजय लिंगवाल ने बताया कि ट्रेन के लोको पायलट खुशी राम मौर्य और सहायक लोको पायलट दीपक कुमार के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

38 वर्ष में 33 हाथी बने काल का ग्रास

राजाजी टाइगर रिजर्व के बीच से गुजर रहा रेलवे ट्रैक कई मतर्बा हाथियों के लिए जानलेवा साबित हुआ है। वन विभाग और रेलवे में सामंजस्य न होने से हाथी अपनी जान गवां रहे हैं।

हरिद्वार-देहरादून के बीच स्थित इस ट्रैक पर बीते 38 वर्ष में 33 हाथी काल का ग्रास बन चुके हैं। सोमवार सुबह हुई घटना ने एक बार फिर सुरक्षा दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

  1. इससे पूर्व 19 सितंबर 2023 को हरिद्वार क्षेत्र में सीतापुर फाटक के पास एक नर हाथी की ट्रेन से टकराकर मौत हो गई थी।
  2. वर्ष 2021 में दो हाथियों ने ट्रेन की चपेट में आकर जान गंवाई। जिनमें एक घटना आठ मार्च को लच्छीवाला के पास हुई जिसमें शिशु हाथी की मौत व दूसरी घटना 27 नवंबर को हुई थी।
  3. 2020 में 27 जुलाई को नकरौंदा के पास और फिर 21 नवंबर को हर्रावाला के पास रेलवे ट्रैक एक हाथी के लिए काल साबित हुआ है।
  4. 15 अक्टूबर 2016 को नंदा देवी एक्सप्रेस से रायवाला के पास और 19 अप्रैल 2017 में ज्वालापुर के पास दो टस्कर हाथी ट्रेन से कट गए थे।
  5. फरवरी 2018 में रायवाला के पास ट्रेन की चपेट में आने से हाथियों के झुंड में शामिल शिशु हाथी व 20 मार्च को मादा हाथी की मौत हो गई थी।
  6. आंकड़े बताते हैं कि इससे पहले 2001 में चार हाथियों को ट्रेन ने चपेट में लिया था। 1983 में पार्क बनने से लेकर अब तक इस ट्रैक पर 33 हाथियों की जान जा चुकी है। हालांकि देहरादून-हरिद्वार के बीच वर्ष 2023 के बाद ट्रेन से टकराकर शिशु हाथी की मौत की सोमवार को हुई यह इस वर्ष की पहली घटना है।

गलियारे से ही चौकसी गायब

जिस जगह ज्यादातर घटनाएं हुई वह हाथियों का परंपरागत वन्यजीव गलियारा है। सोमवार सुबह जिस जगह घटना हुई वहां अक्सर हाथियों का मूवमेंट रहता है।

जाहिर सी बात है कि यहां से गुजर रहे रेलवे ट्रैक पर राजाजी पार्क प्रशासन को अतिरिक्त चौकसी बढ़ानी चाहिए, ताकि वन्य जीव सुरक्षित रेल ट्रैक पार कर सकें, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *