ऐसी गलती से बचें, अमेरिका की नाराज़गी भारत पर भी पड़ सकती है; निर्यातकों को सरकार की सख्त चेतावनी…

भारत सरकार ने बुधवार को देश के निर्यातकों को एक सख्त चेतावनी जारी की है।

इसमें उन्हें तीसरे देशों के माल को भारत के रास्ते अमेरिका की ओर मोड़ने से बचने के लिए कहा गया है।

यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध तेजी से बढ़ रहा है, जिसका असर वैश्विक व्यापार पर पड़ रहा है।

वाणिज्य मंत्रालय ने यह कदम अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं को सुरक्षित रखने और संभावित जवाबी कार्रवाइयों से बचने के लिए उठाया है।

भारत पर भड़क सकता है अमेरिका

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में निर्यातकों के साथ हुई एक अहम बैठक में सरकार ने भरोसा दिलाया कि विदेशी माल की डंपिंग को रोकने के लिए आयातों की सख्त निगरानी की जाएगी।

साथ ही निर्यातकों को चेताया गया कि वे तीसरे देशों से आने वाले सामान को भारत के जरिए अमेरिका में निर्यात करने की गलती न करें, क्योंकि इससे अमेरिका नाराज हो सकता है और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर असर पड़ सकता है।

यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब अमेरिका ने चीन से आयातित सामानों पर कुल 125% तक का शुल्क लगा दिया है। इससे चीन के निर्यातक वैकल्पिक बाजार तलाश रहे हैं, खासतौर पर स्टील, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल उत्पाद, मशीनरी और कंप्यूटर जैसे क्षेत्रों में।

वैश्विक व्यापार संकट के बीच भारत की तैयारी

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में वाणिज्य मंत्री गोयल ने निर्यातकों को घबराने की बजाय अवसरों पर ध्यान देने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर “सही संतुलन” बनाने पर काम हो रहा है।

यह समझौता वर्तमान में लगभग 191 अरब डॉलर के व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसके पहले चरण को सितंबर-अक्टूबर तक पूरा करने की योजना है।

सॉफ्ट लोन और गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों में राहत की तैयारी

निर्यातकों द्वारा मार्जिन में कमी और वैश्विक अस्थिरता को लेकर जताई गई चिंताओं के बीच, सरकार सॉफ्ट लोन के विकल्पों पर विचार कर रही है।

इसके अलावा, यूरोपीय संघ, यूके और अमेरिका जैसे देशों से आने वाले आयातों पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों में कुछ ढील देने की संभावना भी जताई गई है।

एक अधिकारी ने बताया, “सरकार ने संकेत दिया है कि जिन देशों से गुणवत्ता की शिकायतें बहुत कम हैं, वहां से आयात पर नियमन में कुछ नरमी लाई जा सकती है।”

क्यों जारी की गई चेतावनी?

अमेरिका ने हाल ही में उन देशों पर भी “जवाबी टैरिफ” लगाने शुरू किए हैं, जिनके बारे में उसका मानना है कि वे उसके माल पर अनुचित कर लगा रहे हैं।

भारत पर भी 26% का ऐसा शुल्क लगाया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारतीय निर्यातक तीसरे देशों (जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों) से माल को अमेरिका भेजने के लिए भारत को रास्ते के रूप में इस्तेमाल करते हैं, तो यह अमेरिका के संदेह को बढ़ा सकता है और भारत के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

इससे न केवल व्यापार समझौता प्रभावित हो सकता है, बल्कि भारतीय निर्यातकों को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।

चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध का असर

इस बीच, चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर अपने शुल्क बढ़ाकर 84% कर दिए हैं। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी उत्पादों पर लगाए गए 125% टैरिफ के जवाब में उठाया गया है।

बीजिंग ने कहा है कि वह ‘दृढ़ और प्रभावी’ जवाब देगा। नई दरें बुधवार को अमेरिका में मध्यरात्रि के बाद से लागू हो गई हैं।

ट्रंप प्रशासन द्वारा फरवरी और मार्च में लगाए गए शुल्कों के साथ मिलाकर यह चीन पर अब तक का सबसे बड़ा शुल्क बोझ बन गया है, जिससे वैश्विक व्यापार प्रणाली पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है।

भारत के लिए अवसर

मंत्री गोयल ने कहा कि भारत के लिए यह समय अवसरों से भरा है। उन्होंने कहा, “भारत ने खुद को एक भरोसेमंद व्यापारिक साझेदार के रूप में स्थापित किया है। अब वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की भूमिका और भी मजबूत हो सकती है, जिससे निर्माण और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।”

बैठक का मकसद बदलते वैश्विक व्यापार परिदृश्य में संभावित अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा करना और उद्योग को सरकार की योजनाओं की जानकारी देना था।

वाणिज्य मंत्रालय ने संकेत दिया कि वह निर्यातकों के साथ नियमित संवाद बनाए रखेगा ताकि बदलते वैश्विक व्यापार परिदृश्य का आकलन किया जा सके।

इसके अलावा, सरकार निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) के तहत एक व्यापक योजना पर काम कर रही है, जिसकी घोषणा हाल के बजट में की गई थी। यह योजना भारतीय निर्यातकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती प्रदान करने के लिए तैयार की जा रही है।

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