सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे शख्स को बरी कर दिया है, जिसने कथित तौर पर अपनी पत्नी को जलाकर मार दिया था।
खास बात है कि इस मामले में उसे उम्रकैद की सजा हुई थी और वह 12 साल की जेल भी काट चुका है। अब शीर्ष न्यायालय ने मृतक बयान पर सवालिया निशान लगाए हैं।
साथ ही यह कहा है कि इस मामले में और कोई भी ऐसा सबूत नहीं मिला है, जो यह साबित कर सके कि आरोपी ने ही महिला की हत्या की है।
कोर्ट ने कहा, ‘अगर मृतक बयान पर संदेह है या मृतक की तरफ से मरने से पहले दिए गए बयान पर कोई विरोधाभास है तो कोर्ट को अन्य सबूतों की ओर देखना चाहिए, ताकि साफ हो सके कि कौन सा मृतक बयान सही है। यह केस के तथ्यों पर निर्भर करेगा और ऐसे मामलों में कोर्ट को सतर्क रहना चाहिए। मौजूदा केस भी ऐसा ही है।’
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘मौजूदा मामले में मृतक ने दो बयान दिए हैं, जो इनके बाद दिए बयानों से एकदम अलग हैं। इनमें न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दिया बयान भी शामिल है, जिसे मृतक बयान माना जा रहा है। इसके आधार पर ही अपीलकर्ता को दोषी माना गया है।’
मामले की सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर रही है। उनका कहना है कि अगर मृतक के मरने से पहले दिए बयान में ज्यादा विरोधाभास हैं, तो दोषसिद्धि नहीं हो सकती है।
साथ ही आरोपी के खिलाफ कोई और पुख्ता सबूत भी मौजूद नहीं थे।
कोर्ट ने यह भी कहा, ‘कानून की इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मृतक बयान अहम सबूत है और सिर्फ मृतक बयान के आधार पर ही दोषसिद्धि की जा सकती है, क्योंकि आपराधिक कानून में इसकी काफी अहमियत है।
हालांकि, मामले के तथ्य और मृतक बयान की गुणवत्ता पता लगाने के बाद ही इसपर निर्भर होना चाहिए।’
मृतक बयान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में मृतक ने अपने पहले बयान में पति पर आरोप नहीं लगाए थे और कहा था कि खाना बनाते हुए आग लग गई थी, लेकिन बाद में मजिस्ट्रेट को बताया गया कि पति ने उसपर केरोसिन डालकर आग लगाई है।
अन्य गवाहों की जांच के बाद कोर्ट ने कहा कि उनके शरीर में से अस्पताल लाए जाने पर केरोसिन की गंध नहीं आ रही थी।