“हिन्दुओं पर बढ़ते हमलों के बीच विदेश सचिव ढाका जाएंगे, बांग्लादेश को शांति का संदेश देंगे”…

पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिन्दुओं पर बढ़ते हमले और दोनों देशों के बीच गहराते तनाव के बीच एक अच्छी खबर आई है।

खबर है कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री अगले सप्ताह ढाका जाने वाले हैं। वह ढाका में विदेश सचिव स्तर की बैठक में भाग लेंगे।

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव के बीच विदेश सचिव स्तर की यह पहली बैठक होगी।

बांग्लादेश के विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन के हवाले से समाचार एजेंसी PTI ने कहा है कि बांग्लादेश और भारत के बीच निर्धारित विदेश सचिव स्तर की विदेश कार्यालय परामर्श (FOC) 9 या 10 दिसंबर को ढाका में होगी।

बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस ने भी यह जानकारी साझा की है।

शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद 8 अगस्त को अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह किसी वरिष्ठ भारतीय सरकारी अधिकारी की बांग्लादेश की पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी।

हुसैन ने ढाका स्थित विदेश मंत्रालय में संवाददाताओं से कहा, “यह बहुत स्पष्ट है कि हम (भारत के साथ) अच्छे संबंध चाहते हैं।” हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों को पारस्परिक आधार पर विकसित किया जाना चाहिए। “

दोनों पक्षों को ऐसा करने की इच्छा रखनी चाहिए और इसके लिए काम करना चाहिए।” हुसैन ने कहा कि एफओसी 10 दिसंबर को निर्धारित है, लेकिन यह एक दिन पहले यानी 9 दिसंबर को भी हो सकती है।

समाचार एजेंसी ने कहा कि उच्च स्तरीय परामर्श के दौरान विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन और भारतीय विदेश सचिव मिसरी अपने-अपने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। इसमें हसीना के संभावित प्रत्यर्पण और वीजा संबंधी मामलों सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।

जुलाई-अगस्त में हुए विद्रोह के दौरान सामूहिक हत्याओं में कथित संलिप्तता के लिए हसीना बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में मुकदमे का सामना कर रही हैं।

हसीना के भारत भाग जाने के बाद 5 अगस्त से दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ गया है, जो पिछले सप्ताह हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद और बढ़ गया। भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता व्यक्त करता रहा है।

माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान भारतीय विदेश सचिव पड़ोसी देश को शांति और सौहार्द्र का पाठ पढ़ाएंगे और हिन्दू अल्पसंख्यकों के प्रति मानवीय और संवेदनशील रवैया अपनाने की सलाह देंगे।

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