छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले स्थित एक गांव में दो दिनों के भीतर छह गायों की मौत हाे गई है।
इसकी वजह से इलाके के पशुपालकों में दहशत का माहौल है, कई लोग इन मौतों को लंपी वायरस से जोड़ रहे हैं।
हालांकि पशु चिकित्सा विभाग ने फिलहाल लंपी को मौत की वजह मानने से इनकार किया है। उनका कहना है कि पहली नजर यह इन मौतों की वजह पॉइजनिंग लग रहा है।
फिलहाल नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है।
गरियाबंद के फिंगेश्वर ब्लॉक में एक गांव है लचकेरा। यहां रविवार को एक गाय की मौत हो गई। थोड़ी देर बाद ही एक-एक कर चार गायों की मौत हुई।
दहशत में आए ग्रामीणों ने तुरंत इसकी सूचना पशु चिकित्सा विभाग को दी। वहां डॉक्टराें की टीम पहुंची इस बीच दो और मवेशियों ने दम तोड़ दिया।
इसकी वजह से आसपास के गांवों में भी दहशत का माहौल बन गया। लोग इसे लंपी वायरस के संक्रमण से हो रही मौतों से जोड़कर देखने लगे।
हालांकि पशु चिकित्सा विभाग ने फिलहाल के लिए लंपी संक्रमण की संभावना से इनकार किया है।
पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ. डी.एस. ध्रुव ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा, वहां गई विभाग की टीम ने शुरुआती जांच की है।
पहली नजर में यह मामला पॉइजनिंग (कोई जहरीली चीज खा लेना) का लग रहा है। गायों के शरीर पर लंपी वायरस के संक्रमण जैसा कोई लक्षण नहीं मिला है।
फिलहाल गायों के शव से जरूरी नमूने लेकर रायपुर की प्रयोगशाला में भेज दिया गया है। जांच के बाद ही मौत की सही वजह सामने आएगी।
प्रदेश में अभी लंपी का कोई केस नहीं
छत्तीसगढ़ में अभी लंपी संक्रमण का कोई मामला नहीं है। दुर्ग जिले में चार संदिग्ध मामले रिपोर्ट हुए थे, जिनमें तीन की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है।
एक केस की रिपोर्ट आनी शेष है। पशु चिकित्सा की संचालक चंदन संजय त्रिपाठी ने बताया, अभी तक जो भी संदिग्ध मिले हैं उनके लक्षण एलर्जी के थे।
जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि भी हुई है। फिर भी जहां से संदिग्ध केस मिले थे वहां से पांच किलोमीटर की परिधि में गाय-बैलों को गोट पॉक्स वैक्सीन लगाने का निर्देश दिया गया है।
18 सीमावर्ती जिलों में भी सघन टीकाकरण अभियान
पशु चिकित्सा सेवाओं की संचालक चंदन संजय त्रिपाठी ने बताया, लंपी संक्रमण का केस बढ़ने के साथ ही सरकार ने प्रदेश भर में मवेशी बाजारों को बंद करा दिया है।
दूसरे राज्यों से मवेशियों को लाने अथवा यहां से वहां ले जाने पर भी प्रतिबंध है।
इसी के साथ दूसरे राज्यों की सीमा से लगे 18 जिलों में सघन टीकाकरण शुरू हुआ है। यह टीकाकरण सीमा से पांच किमी तक के गांवों में किया जाना है।