चीन के शिनजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यक मुसलमानों से जुड़ी एक रिपोर्ट सामने आई है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट की तरफ से जारी इस रिपोर्ट में उइगर समुदाय पर चीन सरकार के रवैये का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार चीन ने आतंकवाद विरोधी रणनीतियों के नाम पर अल्पसंख्यक मुसलमानों के मानवाधिकारों का ‘गंभीर’ रूप से उल्लंघन किया है।
साथ ही रिपोर्ट में इसे ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ बताया है। खास बात है कि बैचलेट की तरफ से यह रिपोर्ट उनके कार्यकाल के अंतिम दिन जारी की गई है।
Truth and Facts नाम की 48 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन उल्लंघनों में बलात्कार, जबरन नसबंदी और गयाब हो जाने की बातें शामिल हैं। कहा गया है कि चीन ने सरकारी नीतियों के नाम पर इन्हें अंजाम दिया है।
OHCHR की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कानून और नीतियों को लेकर उइगर और अन्य मुस्लिम समूहों के सदस्यों को हिरासत में लिए जाने की मनमानी और भेदभाव की सीमा अंतरराष्ट्रीय अपराध हो सकती है।
रिपोर्ट में ‘परिवार से अलगाव, बदले और गायब होने’, ‘रोजगार और श्रम के मुद्दों’, ‘बच्चों को जन्म देने के अधिकार’, ‘निजता का अधिकार और घूमने की अजादी’, ‘धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई पहचान और अभिव्यक्ति’ और ‘वोकेशनल एजुकेशनल ट्रेनिंग सेंटर्स यानी VETCs में हालात’ जैसे वर्गों के जरिए मानवाधिकार के उल्लंघन को बताया गया है।
पूछताछ के नाम पर यौन अपराध
रिपोर्ट में खासतौर से तथाकथित VETCs के अंदर डिटेंशन रूम में महिलाओं के साथ होने वाले यौन अपराधों और बलात्कार का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि VETCs को यातना देने के तरीकों या सजाओं के हिसाब से चिह्नित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, ‘कुछ लोगों ने बलात्कार की कुछ घटनाओं समेत कई तरह के यौन अपराधों के बारे में बात की। इनमें पूछताछ के नाम पर ओरल सेक्स और जबरन कपड़े उतरवाने समेत कई अन्य तरीके शामिल हैं।’
कैंप की बात से चीन करता रहा है इनकार
बीजिंग लगातार शिनजियांग में इस तरह के कैंप की बात से इनकार करता रहा है। हालांकि, साल 2017 में चीन ने पहली बार इन तथाकथित ट्रैनिंग कैंप्स की बात को माना था।
फिलहाल, न केंद्रीय और न ही प्रांतीय अधिकारियों ने इस बात का खुलासा किया है कि इन कैंप्स में कितने लोगों को रखा गया है।
इसके अलावा बीजिंग पर करीब 10 लाख लोगों को डिटेंशन कैंप में रखने, शिनजियांग में जबरन मजदूरी कराने, जबरन गर्भपात जैसे आरोप भी लगे हैं।
अब चीन क्या कहता है
खबर है कि चीन की तरफ से इस रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं करने की भी अपील कर दी गई थी। हालांकि, इसे खारिज कर दिया और बैचलेट ने दफ्तर में अंतिम दिन इसे जारी कर दिया।
अब चीन का कहना है कि यह रिपोर्ट ‘चीन विरोधी ताकतों की तरफ से तैयार की गई गलत जानकारी और झूठ पर आधारित है।’
साथ ही यह भी कहा गया कि रिपोर्ट चीन को बदनाम कर रही है और इसके जरिए चीन के आंतरिक मामलों में दखल दी गई।
हम्यूमन राइट्स वॉच चाइना की निदेशक सोफी रिचर्डसन कहती हैं, ‘उच्चायुक्त की आलोचना करती हुई प्राप्तियां बताती हैं कि कैसे चीनी सरकार उनकी शिनजियांग रिपोर्ट को प्रकाशित होने से रोकने की कोशिश कर रहा था, जो चीन के अधिकारों के उल्लंघन का खुलासा कर रही थी।
‘ उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को इस रिपोर्ट का इस्तेमाल उइगर और अन्य को निशाना बनाते मानवता के खिलाफ चीनी सरकार के अपराधों की जांच में करना चाहिए और जिम्मेदारों को पता लगाया जाना चाहिए।’
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017 से 2019 के बीच जन्मदर में 48.7 फीसदी की गिरावट देखी गई। खासतौर से हालात काशगर और होतान जैसे उइगर बहुसंख्यक इलाकों में खराब ते। खास बात है कि इस दौरान नसबंदी में खास इजाफा दर्ज किया गया।
खास बात है कि बैचलेट मई में शिनजियांग पहुंची थी और रिपोर्ट अब जारी की गई है। इस रिपोर्ट का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था।
चिली की राष्ट्रपति रह चुकी बैचलेट खुद भी 1970 के समय जनरल ऑगस्तो पिनोशेट के काल में यातनाओं का शिकार हो चुकी हैं।