राज्य योजना आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट, दावा-सिफारिशें लागू करने से जनता को अच्छी सेवा मिलेगी; सार्वजनिक उपक्रम विभाग को बंद करने की सिफारिश…

छत्तीसगढ़ में हाल ही में राज्य योजना आयोग ने अपनी टास्क फोर्स समितियों की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी सिफारिशों पर अमल करने के लिए संबंधित विभागों से कहा है। रिपोर्ट में माना गया है कि इन बदलावों से प्रदेश की जनता को अच्छी सेवा मिलेगी।

सरकार के खर्च भी कम होंगे। लोगों के लिए खरीदी जाने वाली वस्तुएं भी कम कीमतों पर मिल सकेंगी।

रिपोर्ट में सार्वजनिक उपक्रम विभाग को बंद करने व इसके काम वित्त विभाग को सौंपने की सिफारिश की गई है।

जीएडी के कार्य आबंटन नियम के आधार पर सार्वजनिक उपक्रम विभाग एक पृथक विभाग है। इसकी वार्षिक रिपोर्ट वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के साथ विधानसभा में पेश की जाती है।

टास्क फोर्स की टिप्पणी है कि सार्वजनिक उपक्रम विभाग में किसी भी प्रकार का कार्य होता नजर नहीं आता।

वित्त विभाग में एक अलग से प्रकोष्ठ बनाना की अनुशंसा

रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड व सीएसआईडीसी लिमिटेड की बजाए खरीदी का काम केवल वाणिज्य एवं उद्योग विभाग से ही कराने की बात कही है।

टास्क फोर्स ने अनुशंसा की है कि वित्त विभाग में एक अलग से प्रकोष्ठ बनाना चाहिए, जो सार्वजनिक उपक्रमों, मंडलों व प्राधिकरणों की कमियों की समीक्षा करे।

इससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ेगी। टास्क फोर्स ने राज्य में 26 सार्वजनिक उपक्रमों और 23 मंडलों व आयोगों की आय, कर्तव्यों, उपयोगिता को लेकर अनुशंसाएं की हैं।

इसमें वाणिज्यकर (आबकारी) विभाग के छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेजेस कॉर्पोरेशन एवं छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड उपक्रमों का काम देसी-विदेशी मदिरा की खरीदी-बिक्री है। काम की प्रकृति समान होने के कारण इन्हें मर्ज करने की अनुशंसा की गई है। इ

इसी तरह छत्तीसगढ़ बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड तथा वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सीएसआईडीसी लिमिटेड द्वारा विभिन्न वस्तुओं की मार्केटिंग की जाती है।

चूंकि राज्य की सरकारी क्रय नीति पर अमल वाणिज्य एवं उद्योग विभाग करता है, इसलिए इन दोनों निगमों खरीदी जाने वाली सामग्रियों का युक्तियुक्तकरण करने की अनुशंसा की गई है।

इससे सरकारी विभागों को अच्छी गुणवत्ता व कम दरों पर सामग्री मिलने की उम्मीद जताई गई है। उपक्रमों, बोर्ड, प्राधिकरणों को अपने लाभ पर शेयर पूंजी का निश्चित प्रतिशत राज्य को देने के लिए शासन को लाभांश नीति बनाने कहा है।

आयोग या टास्क फोर्स की इन सिफारिशों को संबंधित विभागों को अमल के लिए भेजा जाएगा। इसके अलावा नीतिगत बदलाव, विभाग मर्ज करने, कार्यप्रणाली में बदलाव की अनुशंसाएं की गई हैं।

वे जीएडी के कार्य आबंटन विभाग के जरिए कैबिनेट में रखी जाएंगी। वहां से इनके पारित होने के बाद इन्हें विधानसभा के पटल पर संशोधन के लिए विधेयक पेश किया जाएगा।

सदन में चर्चा के बाद इन्हें पारित किया जाएगा। सिंचाई विभाग में दो साल पहले आयकर विभाग को सांविलियन किया जा चुका है।

ये कमियां निकाली

  • सार्वजनिक उपक्रमों, बोर्ड, प्राधिकरणों के वित्तीय परिणाम लेखों के वित्तीय अंतिमीकरण में नियमों के पालन में लापरवाही हो रही है।
  • सार्वजनिक उपक्रमों, बोर्ड, प्राधिकरणों द्वारा अग्रिम आयकर के कम या भुगतान न करने के कारण शास्ति ब्याज का भुगतान किया गया है।
  • सार्वजनिक उपक्रमों, बोर्ड, प्राधिकरणों के बचत बैंक व चालू बैंक खातों में ऑटो स्वीप सुविधा नहीं होने से ब्याज की हानि हो रही।
  • आधिक्य कोषों के योजनाबद्ध निवेश न करने से कम ब्याज प्राप्त होने से संस्था को आर्थिक हानि हो रही है।
  • संचालनालय संस्थागत वित्त द्वारा सभी सार्वजनिक उपक्रमों, बोर्ड, प्राधिकरणों को बैंक क्रेडिट के लिए मार्गदर्शन व सलाह दी जाए।
  • सार्वजनिक उपक्रम की क्रेडिट रैंकिंग का मूल्यांकन करना होगा।
  • सार्वजनिक उपक्रमों, बोर्ड, प्राधिकरणों का स्थापना व्यय को 30 से 35 प्रतिशत तक सीमित रखा जाए।

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