कर्नाटक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा एमएलसी सीटी रवि को अंतरिम जमानत दे दी।
उन्हें राज्य मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर का अपमान करने के आरोप में गुरुवार को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
जेल से रिहा होने के बाद रवि ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र और कर्नाटक विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष आर अशोक के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।
उन्होंने कहा, ‘हमारे कस्टोडियन चेयरमैन हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा और निर्णय दिया। इसके बावजूद मेरे खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज हुआ।
उन्होंने मेरे साथ आतंकवादी जैसा बर्ताव किया। इस बारे में उन्हें सोचना चाहिए कि उन्होंने क्या किया है, मैं ठीक नहीं हूं। मैंने कल रात और सुबह ठीक से खाया नहीं है। आखिरकार सत्य की जीत हुई है। हाई कोर्ट के यह आदेश का संदेश है कि हमें कानून का पालन करना चाहिए।’
सीटी रवि के अधिवक्ता सिद्धार्थ सुमन ने अपने बयान में कहा, ‘हम एमएलसी सीटी रवि की अवैध गिरफ्तारी को चुनौती दे रहे हैं।
इस चुनौती का आधार यह है कि हमने जमानत नहीं मांगी है, बल्कि एक अंतरिम प्रार्थना की है जिसमें कहा गया कि गिरफ्तारी माननीय सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं थी।’
उन्होंने आगे जोर दिया कि इन दिशा-निर्देशों का पालन कर्नाटक एचसी ने भी किया था जिसने राज्य सरकार को इनका पालन करने का निर्देश दिया था।
हालांकि, अधिवक्ता सुमन ने तर्क दिया कि रवि को गिरफ्तार करते समय इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया था। रवि के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 75, 79, 354ए और 509 के तहत गंभीर अपराध शामिल हैं।
सीटी रवि के वकील ने क्या कहा
वकील ने बताया, ‘हमने जो मुख्य बिंदु उठाए हैं उनमें से एक यह है कि अगर अपराध तीन साल या एक साल की सजा के योग्य है, जैसे कि धारा 354 ए (तीन साल की सजा) या धारा 509 (एक साल की सजा) के तहत तो तत्काल गिरफ्तारी की क्या आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि गिरफ्तारी अनावश्यक रूप से नहीं की जानी चाहिए, खासकर इस तरह के अपराधों के लिए।’
अधिवक्ता सुमन ने स्पष्ट किया कि वे जमानत नहीं मांग रहे थे बल्कि गिरफ्तारी के दौरान रवि को लगी चोट के आधार पर रिहाई की मांग कर रहे थे।
उन्होंने राज्य की ओर से यह स्पष्ट करने में विफलता के बारे में भी चिंता जताई कि चोट कैसे लगी या यह पुलिस स्टेशन के अंदर या बाहर लगी।