बहन के बाद अब भाई पर भी भ्रष्टाचार के आरोप, पूर्व CM के बेटे KTR के खिलाफ किस मामले में जांच हो रही है?…

तेलंगाना में सियासत एक बार फिर गरमा गई है। भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के बेटे के.टी. रामा राव (केटीआर) एक बार फिर विवादों में हैं।

फॉर्मूसा-ई रेसिंग मामले में 55 करोड़ रुपये के फंड के कथित गबन पर जांच की मांग ने नया तूफान खड़ा कर दिया है।

केटीआर पर आरोप है कि उन्होंने बतौर नगर प्रशासन मंत्री यह राशि बिना कैबिनेट की मंजूरी के डायवर्ट की।

हालांकि, केटीआर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे कांग्रेस सरकार का ध्यान भटकाने वाला खेल बताया। उन्होंने कहा, “मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं।

यह सब कांग्रेस के चुनावी वादों की नाकामी से ध्यान हटाने की कोशिश है।” यह बयान तब आया है जब हाल ही में उनकी बहन और बीआरएस नेता के. कविता भी शराब घोटाले में ईडी की जांच का सामना कर रही हैं।

उन्होंने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला करते हुए मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर आरोप लगाया कि उन्होंने अमृत योजना के टेंडरों में गड़बड़ी की और अपने रिश्तेदारों को अनुबंध दिए।

केटीआर ने इसे “पद के लाभ का मामला” बताते हुए इसे कर्नाटक और झारखंड के विवादों जैसा बताया।

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में केटीआर ने स्पष्ट किया कि तेलंगाना की राजनीति में फिलहाल कांग्रेस उनकी पार्टी के लिए मुख्य प्रतिद्वंद्वी है।

उन्होंने भाजपा को छोटा प्रतिद्वंद्वी करार देते हुए कहा, “बीजेपी का यहां संगठनात्मक ढांचा मजबूत नहीं है। उनके मंत्री तो कांग्रेस के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के सबसे बड़े समर्थक बन गए हैं।”

बीआरएस के भीतर उठापटक पर केटीआर ने कहा, “हमारे 10 विवादित विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। लेकिन अब यह सिलसिला रुक गया है।”

हालिया विधानसभा चुनावों में हार पर उन्होंने ‘परसेप्शन मैनेजमेंट’ और ‘कम्युनिकेशन’ की कमजोरियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने स्वीकार किया कि पार्टी अपने 10 वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियों- जैसे 1.60 लाख युवाओं को रोजगार और सरकारी कर्मचारियों के लिए 73% वेतन वृद्धि को जनता तक सही तरीके से पहुंचाने में नाकाम रही।

केसीआर की विधानसभा से गैरमौजूदगी पर केटीआर ने कहा, “अभी के लिए हम रेवंत रेड्डी का सामना करने के लिए पर्याप्त हैं।

केसीआर समय आने पर जरूर आएंगे।” उन्होंने जोर दिया कि ध्यान कांग्रेस के छह चुनावी वादों पर होना चाहिए, जो अभी तक अधूरे हैं।

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