मध्य दिल्ली पुलिस ने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है।
इस मामले में 2 महिलाओं समेत 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है,आरोपियों पर 500 लोगों से ठगी का आरोप है।
डीसीपी मध्य दिल्ली श्वेता चौहान के मुताबिक करोलबाग के रहने वाले खुशाल चंद ने साइबर पुलिस थाने में शिकायत देकर आरोप लगाया कि दो साल पहले उन्होंने एक सार्वजनिक स्थान पर एक विज्ञापन देखा था जिसमें मामूली ब्याज दर पर “प्रधान मंत्री मुद्रा लोन” की पेशकश की गई थी।
उन्होंने दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया और फोन कॉल उठाने वाले शख्स ने खुद को “प्रधान मंत्री मुद्रा लोन” विभाग का एक कर्मचारी बताया।
शिकायतकर्ता ने उसे बताया कि उसे कॉमर्शियल कैब खरीदने के लिए कर्ज की जरूरत है। कथित व्यक्ति ने उससे कहा कि उसे फ़ाइल चार्ज के रूप में पहले 3000 रुपये जमा करने होंगे जो शिकायतकर्ता ने जमा कर दिए,आरोपी ने उससे कहा कि उसके लिए 12 लाख रुपये का लोन मंजूर हो गया है।
यह 2 प्रतिशत ब्याज पर होगा और 35 प्रतिशत की छूट सरकार द्वारा दी जाएगी। उसे प्रोसेसिंग फीस के रूप में कुल राशि का 1।5% जमा करने की आवश्यकता है।
इसके बाद उसने 23 हज़ार रुपये और जमा कर दिए। इसके बाद भी उससे किसी न किसी बहाने से पैसे लेते रहे ,इस तरह उससे 3।5 लाख रुपये लिए गए।
जांच के दौरान टीम ने मोबाइल सेवा प्रदाताओं से अपराध के कमीशन में उपयोग किए गए मोबाइल फोन का डेटा एकत्र किया, आरोपी के कॉल विवरण रिकॉर्ड का विश्लेषण किया, बैंक विवरण एकत्र किया जिसमें धोखाधड़ी के पैसे जमा किए गए थे।
तकनीकी निगरानी, बैंक विवरण की बारीकी से जांच और स्थानीय सत्यापन के आधार पर, वाणिज्यिक परिसर, मुकुंद हाउस, आजादपुर, दिल्ली में छापेमारी की गई, जहां से आरोपी साइबर अपराध का रैकेट चला रहा था और एक पुरुष और 2 महिला काम करते पाए गए ,उनकी पहचान सूरज कुमार,रितु उर्फ रिंकू और सुधा के तौर पर हुई।
पूछताछ में पता चला कि सूरज कुमार ही इस वारदात का मास्टर माइंड है। उसने खुलासा किया कि वह 3 साल से अधिक समय से अपराध में शामिल था।
वह पैम्फलेट प्रिंट करवाकर सार्वजनिक स्थान पर चिपका देता था। कानूनी शिकंजे से बचने के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन दूसरों के नाम पर लिए गए थे।
उसने महिलाओं को कॉल करने के लिए काम पर रखा था। पिछले तीन सालों में उसने पूरे भारत में 500 से अधिक लोगों के साथ ठगी की है।
वह लैपटॉप की मदद से फ़र्ज़ी दस्तावेज भी तैयार करता था और पीड़ितों का विश्वास हासिल करने के लिए उन्हें भेजता था।
आरोपी के बैंक खाते की भी जांच की गई जिसमें 50 लाख से अधिक के लेन-देन का खुलासा हुआ। लैपटॉप और मोबाइल फोन से कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए।
आरोपी सूरज कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार से स्नातक हैं। सूरज के लिए अर्जुन नाम का एक शख्स कम से कम पढ़े-लिखे और गरीब लोगों से बैंक खाते और सिम कार्ड की व्यवस्था करता था।
वह अपने घर से फरार है।आरोपी सुधा और रिंकी 2 महीने से टेली कॉलर के तौर पर काम कर रही थीं।