“पाकिस्तान को बांग्लादेश से मिली एक छूट ने भारत की चिंता को और बढ़ा दिया, और इसके परिणामस्वरूप कई भारतीय राज्यों में सुरक्षा खतरा उत्पन्न हो गया”…

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते रिश्तों ने भारत की चिंताओं में इजाफा कर दिया है।

सबसे अहम चिंता चटगांव बंदरगाह को लेकर है। यहां आने वाले पाकिस्तान के मालवाहक जहाजों की फिजिकल जांच का जो नियम था, उसे बांग्लादेश ने खत्म कर दिया है।

अब पाकिस्तान से आए माल की फिजिकल जांच नहीं हो सकेगी। ऐसे में यहां से पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई हथियारों की सप्लाई, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे कारनामों को अंजाम दे सकती है।

एजेंसियों को संदेह है कि यहां इन चीजों को उतारे जाने के बाद बांग्लादेश की सीमा से लगते पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में भेजा जा सकता है। पहले भी ऐसी कोशिशें हुई हैं, ऐसे में यह चिंता निराधार नहीं है।

शेख हसीना सरकार के दौर में पाकिस्तान से आने वाले जहाजों की फिजिकल चेकिंग होती थी। इसके अलावा भारत को चटगांव और मोंगला पोर्ट्स पर सीधा एक्सेस मिलता रहा है।

अब उसे भी खत्म करने पर बांग्लादेश विचार कर रहा है। 2004 में ऐसा हुआ था, जब चटगांव बंदरगाह पर 1500 डिब्बे बरामद किए गए थे, जिनमें चीनी हथियार रखे थे।

तब एजेंसियों का कहना था कि ये डिब्बे शायद आईएसआई ने रखवाए हैं और उन्हें पूर्वोत्तर भारत में सप्लाई किया जाना था।

पहले भी आईएसआई उल्फा जैसे अतिवादी संगठनों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश करती रही है। लेकिन बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के दौर में उसके लिए यह उतना आसान नहीं था, जितना अब हो सकता है।

फिलहाल मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पाकिस्तान के साथ करीबी बढ़ाने में जुटी है। यहां तक कि मोहम्मद यूनुस पाकिस्तान जाने पर विचार कर रहे हैं और उनके विदेश मंत्री को बांग्लादेश आमंत्रित किया है। पाकिस्तान की ओर से 1971 में की गई ज्यादतियों को भी भुलाने की बातें करने लगे हैं।

यही नहीं भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी की उस पोस्ट तक पर कुछ नेताओं ने ऐतराज जताया था, जिसमें उन्होंने 1971 की जंग के लिए भारतीय सेना की प्रशंसा की थी। द

रअसल शेख हसीना के तख्तापलट के बाद आई अंतरिम सरकार में बड़े पैमाने पर कट्टरपंथी तत्व भी शामिल हैं। इनमें से ही एक जमात-ए-इस्लामी भी है, जिसे भारत विरोधी राजनीति के लिए जाना जाता है।

5 दशकों में पहली बार सीधा पहुंचा पाकिस्तान का जहाज

अहम तथ्य यह है कि 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद से पाकिस्तान के साथ उसका कारोबार नाममात्र ही रहा है। इसकी वजह है कि पाकिस्तान से वहां सीधे जहाजों को आने की परमिशन ही नहीं थी, जो अब मिल गई है। नवंबर में पहली बार कराची से रवाना हुआ मालवाहक जहाज दुबई होते हुए सीधे बांग्लादेश पहुंचा।

इसके बाद अब एक और जहाज बीते सप्ताह पहुंचा है। हाल ही में मुस्लिम देशों की समिट डी-8 में भी यूनुस और शहबाज शरीफ की मुलाकात हुई थी।

इस मीटिंग में शहबाज ने बांग्लादेश को भाई बताया तो वहीं यूनुस ने 1971 के खूनी इतिहास को भुलाने की बात कही। दोनों के बीच अगस्त से अब तक दो मुलाकातें हो चुकी हैं।

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