पत्नी को मिले हैंडबैग ने इस देश के राष्ट्रपति की मुश्किलें बढ़ा दीं, अब पद से हटाने की हो रही तैयारी…

दुनियाभर में मची उथल-पुथल के बीच एक पूर्वी एशियाई देश चर्चा में है।

यहां राष्ट्रपति द्वारा मार्शल लॉ लगाए जाने के बाद बखेड़ा खड़ा हो गया। हम बात कर रहे हैं दक्षिण कोरिया की। कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक योल इन दिनों अपने संभावित महाभियोग को लेकर चर्चा में हैं।

इसी बीच, उनकी सरकार की लोकप्रियता कई विवादों और गलतियों के कारण गिर रही है।

इनमें सबसे विवादास्पद घटनाओं में से एक है उनकी पत्नी फर्स्ट लेडी किम गॉन ही को संदिग्ध परिस्थितियों में दिया गया एक लग्जरी Dior हैंडबैग। यह घटना 2022 की है, लेकिन नवंबर 2023 में यह फिर से सुर्खियों में आई और 2024 में राजनीतिक बवाल का कारण बन गई।

विवाद की शुरुआत

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी दलों ने इसे “घूस” करार देते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है।

यह मामला तब शुरू हुआ जब चोई जे-यॉन्ग नाम के एक पादरी ने एक गुप्त कैमरे से वीडियो शूट किया। वीडियो में पादरी को एक प्लानिंग फर्म के ऑफिस में जाते हुए दिखाया गया, जिसे फर्स्ट लेडी यानी राष्ट्रपति की पत्नी किम गॉन ही चलाती हैं।

पादरी ने उन्हें एक शॉपिंग बैग दिया, जिसमें कथित तौर पर 30 लाख वोन (करीब ₹1,90,000) का Dior हैंडबैग था। वीडियो में किम कहती हैं, “आप बार-बार ये क्यों ला रहे हैं? कभी भी इतनी महंगी चीजें मत खरीदना।” यह वीडियो एक साल बाद, एक वामपंथी राजनीतिक साइट पर शेयर किया गया, जो अक्सर राष्ट्रपति यून की नीतियों के विरोध में विचार व्यक्त करती है।

“घूस” या राजनीतिक हमला?

इस घटना ने लोगों को दक्षिण कोरिया के “पे-टू-प्ले” (सत्ता तक पहुंच के बदले निजी लाभ) घोटालों की याद दिला दी। वहीं, इस मामले ने एक नई बहस को जन्म दिया कि क्या फर्स्ट लेडी ने अनचाही पब्लिसिटी अपने ऊपर ले ली, या उन्हें उनके बढ़ते प्रोफाइल के कारण निशाना बनाया जा रहा है।

जुलाई 2024 में, इस मामले में किम गॉन ही से करीब 12 घंटे तक पूछताछ की गई। पूछताछ के बाद उनके वकील ने योन्हाप न्यूज को बताया कि, “फर्स्ट लेडी ने पूरी सच्चाई बताई और ईमानदारी से जवाब दिया।”राष्ट्रपति और फर्स्ट लेडी की सफाई

प्रोसिक्यूटर ने मामले में किसी भी प्रकार की अनियमितता के प्रमाण नहीं पाए और घूस के आरोपों को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति यून ने इसे अपनी पत्नी और पादरी के बीच “अच्छे संबंध” का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “यह जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।”

यह विवाद न केवल राष्ट्रपति यून की लोकप्रियता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, बल्कि उनकी सरकार की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। विपक्ष इस घटना का इस्तेमाल कर उन्हें सत्ता से हटाने के लिए दबाव बना रहा है।

महाभियोग की संभावना बढ़ गई

दक्षिण कोरिया की सत्तारूढ़ पार्टी ‘पीपुल पावर पार्टी’ (पीपीपी) के प्रमुख ने ‘मार्शल लॉ’ लागू करने के लिए शुक्रवार को राष्ट्रपति यून सुक येओल की संवैधानिक शक्तियों को निलंबित करने का समर्थन किया, जिससे यून के खिलाफ महाभियोग की संभावना बढ़ गई है।

यून ने इस सप्ताह ‘मार्शल लॉ’ लागू करने की घोषणा की थी लेकिन सांसदों ने ‘मार्शल लॉ’ हटाने के पक्ष में मतदान किया जिसके कारण यह सिर्फ छह घंटे तक प्रभावी रहा था।

विपक्षी दलों ने यून द्वारा लगाए गए अल्पकालिक ‘मार्शल लॉ’ को ‘‘असंवैधानिक, अवैध विद्रोह या तख्तापलट’’ करार दिया और वे शनिवार को यून पर महाभियोग के लिए संसद में मतदान के लिए दबाव बना रहे हैं।

हालांकि, महाभियोग प्रस्ताव पारित करने को लेकर आवश्यक दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करने के लिए उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी।

राजनीति में उथल-पुथल मचा दी

यून द्वारा रात के समय लागू किए गए ‘मार्शल लॉ’ के आदेश ने दक्षिण कोरिया की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है तथा जापान एवं अमेरिका सहित पड़ोसी सहयोगी लोकतांत्रिक देशों के बीच इस बात को लेकर चिंता बढ़ गई है, क्योंकि राजनीतिक संकट का सामना कर रहे देश के नेता को पद से हटाया जा सकता है।

पार्टी की एक बैठक के दौरान ‘पीपुल पावर पार्टी’ के नेता हान डोंग-हुन ने यून के राष्ट्रपति पद के कर्तव्यों और शक्तियों को तत्काल निलंबित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि वह ‘‘ दोबारा मार्शल लॉ लगाने जैसे कड़े कदम उठा सकते हैं जो कोरिया गणराज्य और उसके नागरिकों को खतरे में डाल सकता है।’’

हान ने कहा कि उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी कि यून ने ‘मार्शल लॉ’ के दौरान देश के ‘डिफेंस काउंटरइंटेलिजेंस कमांडर को ‘‘राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों’’ के आरोपों पर प्रमुख राजनेताओं को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने का आदेश दिया था।

हान ने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि कोरिया गणराज्य और उसके लोगों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति यून सुक येओल की आधिकारिक शक्तियों को तत्काल निलंबित करना आवश्यक है।’’

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