जापान के नागासाकी में 1945 में परमाणु बम गिराये जाने की घटना में बाल-बाल बचे और फिर परमाणु हथियारों के विरुद्ध मुहिम चलाने वाले शिगेमी फुकाहोरी का निधन हो गया है।
वह 93 साल के थे। जब अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासागी में परमाणु बम गिराए उस समय शिगेमी मात्र 14 साल के थे।
उनपर इस हमले का ऐसा असर हुआ की कई साल तक तो इस बारे में वह कुछ बता ही नहीं पाए। बाद में उन्होंने जो कहानी बताई वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी।
उन्होंने बताया कि एक शख्स मदद के लिए चिल्ला रहा था। उन्होंने अपने सामने देखा कि उसका शरीर पिघल गया है।
उराकामी कैथोलिक गिरजाघर ने रविवार को बताया कि फुकोहोरी ने तीन जनवरी को दक्षिण-पश्चिम जापान के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।
वह पिछले साल आखिरी दिन तक इस गिरजाघर में तकरीबन रोजाना प्रार्थना करते थे। स्थानीय मीडिया ने बताया कि उनकी मृत्यु अधिक उम्र के कारण हुई।
नागासाकी में परमाणु बम गिरने से तीन दिन पहले हिरोशिमा पर परमाणु हमला किया गया था जिसमें 140000 लोगों की मौत हो गई थी।
परमाणु हमले के कुछ दिनों बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था और फिर द्वितीय विश्वयुद्ध का समापन हुआ था।
करीब 15 साल पहले स्पेन की यात्रा के दौरान एक ऐसे व्यक्ति से मिलने के बाद वह और अधिक मुखर हो गए, जिसने 1937 में स्पेन गृहयुद्ध के दौरान ग्वेर्निका पर बमबारी का अनुभव किया था।
वह व्यक्ति भी तब 14 साल का था। आपस में अनुभव साझा करने के बाद फुकाहोरी खुलकर अपनी बात रखने लगे।
फुकाहोरी ने 2019 में जापान के राष्ट्रीय प्रसारक एनएचके से कहा, ‘जिस दिन बम गिरा, मैंने मदद के लिए एक आवाज सुनी। जब मैं उसके पास गया और अपना हाथ बढ़ाया, तो (मैंने देखा कि) उस व्यक्ति की त्वचा पिघल गई।
मुझे अब भी याद है कि तब कैसा महसूस हुआ था।’ वह अक्सर यह उम्मीद करते हुए विद्यार्थियों को संबोधित करते थे कि वे ‘शांति की मुहिम को आगे बढ़ायेंगे।