तालिबान नेताओं की यात्रा पर अमेरिका (US) ने क्यों लगाया बैन?, सामने आई असली वजह; अयमान अल जवाहिरी का भी है कनेक्शन…

अमेरिका ने आखिर तालिबान नेताओं के विदेश यात्रा पर क्यों पाबंदी लगाई थी इसकी वजह सामने आ गई है।

मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि अमेरिका काबुल में अलकायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी की मौजूदगी को लेकर गुस्सा था।

2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद से जवाहिरी अलकायदा की कमान संभाल रहा था। एक अगस्त को काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में वह मारा गया।

उसने मध्य काबुल में तालिबान के डिप्टी लीडर और इंटीरियर मीनिस्टर सिराजुद्दीन हक्कानी के घर में पनाह ले रखी थी। 

तालिबान ने नहीं निभाया है वादा
गौरतलब है कि जून महीने में मध्य वरीयता वाले दो तालिबान नेताओं को प्रतिबंध से छूट नहीं मिली थी। तब भारत के नेतृत्व में यूएन सिक्योरिटी काउंसिल सैंक्शन कमेटी ने इसके खिलाफ वोट दिया था।

यह फैसला तालिबान द्वारा महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा में नाकाम रहने पर उठाया गया था।

मामले के संबंध में जानकारी रखने वाले व्यक्ति के मुताबिक पिछले महीने सैंक्शन कमेटी के सामने 13 अन्य तालिबान नेताओं की लिस्ट आई जिन्हें प्रतिबंध से छूट देने की बात थी।

इस पर अमेरिका ने सात तालिबान नेताओं पर ट्रैवेल लगाने की बात कही। वहीं छह अन्य की छूट कायम रखने, लेकिन केवल कतर यात्रा की परमिशन का भी प्रस्ताव रखा गया। 

रूस और चीन ने किया विरोध
इस दौरान रूस और चीन ने अमेरिकी कदम का विरोध किया। इन दोनों देशों ने प्रस्ताव दिया कि सभी 13 तालिबान नेताओं पर से 3 महीने के लिए यात्रा प्रतिबंध हटाए जाएं, ताकि वह रूस, चीन, कतर और कुछ अन्य क्षेत्रीय देशों की यात्रा कर सकें।

हालांकि रूस और चीन के इस संयुक्त प्रस्ताव का फ्रांस और ब्रिटेन ने विरोध किया था। यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के 15 सदस्यों के बीच कोई समझौता न होने के चलते यात्रा प्रतिबंधों की छूट 19 अगस्त को खत्म हो गई।

अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक तालिबान अपने वादे के मुताबिक महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा में लगातार नाकाम हो रहा था।

इसके अलावा काबुल में जवाहिरी के मिलने के बाद तालिबानी नेताओं की गतिविधियों पर प्रतिबंध का फैसला हुआ। 

रूस और चीन ने किया विरोध
इस दौरान रूस और चीन ने अमेरिकी कदम का विरोध किया। इन दोनों देशों ने प्रस्ताव दिया कि सभी 13 तालिबान नेताओं पर से 3 महीने के लिए यात्रा प्रतिबंध हटाए जाएं, ताकि वह रूस, चीन, कतर और कुछ अन्य क्षेत्रीय देशों की यात्रा कर सकें।

हालांकि रूस और चीन के इस संयुक्त प्रस्ताव का फ्रांस और ब्रिटेन ने विरोध किया था।

यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के 15 सदस्यों के बीच कोई समझौता न होने के चलते यात्रा प्रतिबंधों की छूट 19 अगस्त को खत्म हो गई।

अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक तालिबान अपने वादे के मुताबिक महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा में लगातार नाकाम हो रहा था।

इसके अलावा काबुल में जवाहिरी के मिलने के बाद तालिबानी नेताओं की गतिविधियों पर प्रतिबंध का फैसला हुआ। 

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