define('WP_ALLOW_REPAIR', true); डोनाल्ड ट्रंप उठाने वाले हैं ऐसा कदम, जिससे नेतन्याहू होंगे खुश, लेकिन गाज़ावासियों को लगेगा बड़ा झटका… – Vartha 24

डोनाल्ड ट्रंप उठाने वाले हैं ऐसा कदम, जिससे नेतन्याहू होंगे खुश, लेकिन गाज़ावासियों को लगेगा बड़ा झटका…

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के साथ अमेरिका की सहभागिता समाप्त करने और संयुक्त राष्ट्र फिलिस्तीनी राहत एजेंसी (UNRWA) की फंडिंग पर रोक जारी रखने का आदेश दे सकते हैं।

यह जानकारी वाइट हाउस के एक अधिकारी ने दी। यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू वॉशिंगटन दौरे पर हैं।

नेतन्याहू लंबे समय से UNRWA के आलोचक रहे हैं और उन्होंने इस एजेंसी पर इज़रायल विरोधी प्रचार करने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। जानकारों का मानना है कि फंडिंग रोके जाने से गाजा के लोगों को पुनर्वास में बाधा हो सकती है।

उधर, UNRWA के प्रवक्ता ने इस संभावित आदेश पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन एजेंसी की वित्तीय स्थिति को “बहुत ही खराब” बताया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के कार्यवाहक प्रवक्ता पास्कल सिम ने कहा कि उन्हें वाशिंगटन से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका वर्तमान में परिषद का सदस्य नहीं है और इसलिए कोई औपचारिक प्रक्रिया लागू नहीं होती।

पहले कार्यकाल में भी लिया था ऐसा फैसला

ट्रंप ने 2017 से 2021 के अपने पहले कार्यकाल में भी UNRWA की फंडिंग रोक दी थी। उन्होंने इस एजेंसी की उपयोगिता पर सवाल उठाए थे और कहा था कि फिलिस्तीनियों को इज़रायल के साथ शांति वार्ता फिर से शुरू करने के लिए सहमत होना चाहिए।

इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से भी अपना नाम वापस ले लिया था। उनका तर्क था कि यह परिषद इज़रायल के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाती है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।

हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के दौरान अमेरिका को 2022-2024 कार्यकाल के लिए परिषद का सदस्य चुना गया था।

बाइडेन सरकार का मानना था कि अमेरिका को परिषद में सक्रिय रहना चाहिए ताकि चीन के “खतरनाक प्रभाव” को संतुलित किया जा सके।

इस वर्ष के अंत में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद अमेरिका के मानवाधिकार रिकॉर्ड की समीक्षा करने वाली है। यह प्रक्रिया हर देश के लिए कुछ वर्षों में एक बार की जाती है। हालांकि, परिषद के पास कानूनी रूप से बाध्यकारी शक्ति नहीं है, लेकिन उसकी बहसें राजनीतिक रूप से प्रभावशाली होती हैं और वैश्विक दबाव बढ़ा सकती हैं।

अन्य संगठनों से भी अमेरिका की वापसी

20 जनवरी को अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने के बाद, ट्रंप ने पहले ही आदेश दे दिया है कि अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और पेरिस जलवायु समझौते से हटा दिया जाए।

ये दोनों कदम उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी उठाए थे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन के इन फैसलों का अंतरराष्ट्रीय मंच पर क्या प्रभाव पड़ता है, खासकर फिलिस्तीन और इज़रायल के बीच संघर्ष तथा वैश्विक मानवाधिकार नीतियों पर।

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