ट्रंप की धमकी और पनामा नहर पर कब्जे का खतरा, इस देश ने आखिरकार चीन को दिया झटका…

दूसरी बार अमेरिका की सत्ता संभालने से पहले ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पनामा नहर पर कब्जा करने को लेकर कई बार चेता चुके हैं।

अब उनकी चेतावनी का असर दिखने लगा है।

पनामा देश ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट से हाथ पीछे खींच लिए हैं। चीन के सहायक विदेश मंत्री झाओ झियुआन ने शुक्रवार (7 फरवरी) को पनामा के राजदूत को तलब कर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव समझौते के नवीनीकरण न करने के फैसले पर “गंभीर आपत्ति” जताई।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक प्रेस वार्ता में कहा, “हम अमेरिका द्वारा दबाव और जबरदस्ती के जरिए बेल्ट एंड रोड सहयोग को बदनाम करने और कमजोर करने का कड़ा विरोध करते हैं।”

उन्होंने कहा, “अमेरिका के हमले एक बार फिर उसकी आधिपत्यवादी मानसिकता को उजागर करते हैं।”

पनामा के फैसले का अमेरिका से क्या संबंध?

पनामा ने चीन के प्रमुख वैश्विक बुनियादी ढांचा परियोजना BRI से खुद को अलग करने का फैसला ऐसे समय में किया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार पनामा नहर पर चीन के प्रभाव को लेकर बयान दे रहे हैं।

पनामा नहर दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक जलमार्गों में से एक है, जो अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच माल की आवाजाही के समय को काफी कम कर देता है।

हाल ही में, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पनामा का दौरा किया था, जिसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि अमेरिका ने पनामा पर चीन के साथ समझौता खत्म करने का दबाव डाला है।

हालांकि, पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने स्पष्ट किया कि अमेरिका ने ऐसा कोई सीधा आग्रह नहीं किया था। पनामा के राष्ट्रपति ने कहा कि “BRI से हटने का फैसला स्वतंत्र रूप से लिया गया है, न कि अमेरिका के दबाव में।”

हालांकि, चीन का मानना है कि अमेरिका इसमें बाधा डाल रहा है। चीन के सहायक विदेश मंत्री झाओ ने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा, “चीन-पनामा संबंध किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं हैं और किसी बाहरी ताकत को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।”

क्या पनामा नहर पर चीन का नियंत्रण है?

डोनाल्ड ट्रंप ने दिसंबर 2024 में पनामा नहर को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “हमारी नौसेना और हमारे व्यापार के साथ बहुत अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है… यह पूरी तरह से हमारे देश के साथ लूटपाट जैसा है, और इसे तुरंत रोका जाएगा।” ट्रंप ने आरोप लगाया कि पनामा अमेरिकी जहाजों से भारी शुल्क वसूल रहा है और “चीनी सैनिक प्रेमपूर्वक लेकिन अवैध रूप से पनामा नहर चला रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ने 1990 के दशक में जब नहर का नियंत्रण छोड़ा था, तो यह केवल पनामा के लिए था, न कि चीन या किसी और के लिए।

हालांकि, पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने दिसंबर में कहा था, “जो भी देश निवेश करना चाहता है, उसका स्वागत है। हम विदेशी निवेश में कोई भेदभाव नहीं करते।” उन्होंने आगे कहा, “पनामा नहर में एक भी चीनी सैनिक नहीं है… यह सब बकवास है।”

पनामा में चीन का निवेश और अमेरिका की चिंता

पनामा नहर का संचालन पनामा कैनाल अथॉरिटी नामक स्वायत्त एजेंसी द्वारा किया जाता है, जिसमें कई बंदरगाह, कंटेनर टर्मिनल और अन्य सुविधाएं शामिल हैं, जो निजी कंपनियों के स्वामित्व में हैं।

1997 से, पनामा पोर्ट्स कंपनी (PPC) बाल्बोआ और क्रिस्टोबाल पोर्ट्स का संचालन कर रही है, जो हांगकांग स्थित हचिसन पोर्ट होल्डिंग्स (HPH) की सदस्य कंपनी है। 2021 में इसे 25 साल का विस्तार मिला था, लेकिन अब इस सौदे की समीक्षा हो रही है, जिससे भविष्य में पुनः निविदा प्रक्रिया हो सकती है।

अमेरिका की चिंता और चीन का बढ़ता प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में पनामा में चीन का प्रभाव बढ़ा है। अमेरिकी सेना के वॉर कॉलेज के शोधकर्ता आर. इवान एलिस ने The Diplomat में लिखा कि “चीनी सेना (PLA) का पनामा के सीमा सुरक्षा बल, वायु और नौसेना सेवा, तथा राष्ट्रीय पुलिस के साथ सहयोग है।”

चीन की सरकारी कंपनी COSCO पनामा नहर के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है।

इसके अलावा, चीन की कई कंपनियां पनामा और दक्षिण अमेरिका में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम कर रही हैं। हाल ही में चीन ने पेरू में 3 अरब डॉलर की चानकाय पोर्ट परियोजना भी पूरी की है।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा, “पनामा नहर पर विदेशी शक्ति का नियंत्रण अमेरिका के लिए सीधा खतरा है। चीनी कंपनियां स्वतंत्र नहीं हैं और किसी भी समय चीन की कम्युनिस्ट सरकार के इशारे पर काम कर सकती हैं।”

पनामा का भविष्य क्या होगा?

राष्ट्रपति मुलिनो ने संकेत दिया है कि चीन के साथ हुए समझौतों की समीक्षा की जा सकती है, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि “पनामा नहर की संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।”

BRI से हटने के पनामा के फैसले और अमेरिका-चीन के बढ़ते टकराव के बीच पनामा को अपने आर्थिक और कूटनीतिक हितों को संतुलित करना होगा।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और चीन के बीच पनामा नहर का यह विवाद किस दिशा में जाता है।

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